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________________ मोसवाल जाति का इतिहास में मेवाड़ के पोलिटिकल एजण्ट ने सरकारी आशा के अनुसार रीजेंसी कौसिल को तोड़ कर उस स्थान में "अहलियान श्री दरबार राज्य मेवाद” नामक कचहरी स्थापित की तथा उसमें मेहता गोकुलचन्दजी और पण्डित लक्ष्मणरावनी को नियत किया । वि० सं० १९२२ में महाराणा शम्भूसिंहजी को राज्याधिकार मिण और इसके एक वर्ष बाद ही उक कचहरी तोड़ दी गई, तथा उसके स्थान पर खास कचहरी स्थापित की। उस समय मेहता गोकुलचन्दजी मांडलगढ़ चले गये । वि० सं० १९२६ (ई. सन् १८६९ ) में कोठारी केशरीसिंहजी ने प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया तो महाराणा ने वह कार्य फिर मेहता गोकुलचन्दजी तथा पण्डित लक्ष्मणराव को सौंपा। बड़ी रूपाहेली और लावा वालों के बीच कुछ जमीन के बाबत सगड़ा होकर छड़ाई हुई जिसमें लांबा वालों के भाई आदि मारे गये। इसके बदले में रूपाहेली का तसवारिया गांव कोना बालों को दिलाने की इच्छा से रूपाहेली वालों को लिखा गया; पर रूपाहेली बालों के न मानने पर गोकुचन्दजी की अध्यक्षता में मेवाड़ की सेना ने रूपाहेली पर आक्रमण कर दिया। वि० सं० १९३॥ (ई. सन् १८७४ ) में मेहता पक्षालालजी के कैद किये जाने पर महकमा खास के काम पर मेहता गोकुलचन्दजी तथा सही वाला अर्जुनसिंहजी की नियुक्ति हुई। इस कार्य को मेहता गोकुलचन्दजी कुछ समय तक करते रहे। वहीं पर संवत् १९३५ में आपका स्वर्गवास हुभा। • मेहता पचालालजी ___ मेहता पन्नालालजी, मेहता भगरचन्दजी के छोटे भाई हंसराजजी के वंश में बच्छावत मुरलीधरजी के पुत्र थे। आप बड़े राजनीतिज्ञ, समझदार तथा योग्य व्यक्ति थे। आप भी अपने पूर्वजों की तरह बड़े यशस्वी रहे। आप वि० सं० १९२६ (ई. सन् १८६९ ) में महाराणा शम्भुसिंहजी द्वारा महकमा खास के सेक्रेटरी बनाये गये। इसके पूर्व खास कचहरी में भाप असिस्टेण्ट सेक्रेटरी का काम कर चुके थे। महकमा खास के स्थापित होने के थोड़े समय पश्चात् से ही प्रधान का पद तोड़ कर सब काम महकमा खास के सुपुर्द किया। पालालजी ने महकमा खास में अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए इसकी व्यवस्था भन्छी तरह से की तथा आपकी वजह से प्रति दिन इसकी उन्नति होने लगी। महाराणा की इच्छानुसार मालगुजारी में भनाजबांटने के काम को बंद कर ठेकेबंदी द्वारा नगद रुपये लिये जाने के लिये इन्होंने कोठारी केशरीसिंहनी की सलाह से दस साल पीछे की आमदनी का औसत निकाल कर बड़ी बुद्धिमानी से सारे मेवाड़ में ठेका बाँध दिया। कोठारी केसरीसिंहजी के पश्चात् माल महक्मा के ऑफिसर कोठारी छगनलालजी तथा मेहता पत्रालालजी रहे। महाराणा ने पोलिटिकल एजेन्ट की सलाह से उदयपुर में कांटा कापम कर मेवाड़ की बेतरतीब
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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