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________________ मेवादी सेना के साथ वहाँ पर चढ़ाई की। इसमें मेहता शेरसिंहजी अपने पुत्र सवाई सिंहजी सहित शामिल थे। जब निम्बाहेड़े पर कप्तान शार्वस ने अधिकार कर लिया तव शेरसिंहजी सरदारों की जमियत सहित वहाँ के प्रबन्ध के लिये नियत किये गये। महाराणा मे शेरसिंहजी को अलग तो कर ही दिया था अब उनसे भारी दण्ड भी लेना चाहा । इसकी सूचना पाने पर राजपूताने का एग्जट गवर्नर जनरल जार्ज लारेन्स वि.सं. ९.(ई. सन् १८६०) की । दिसम्बर को उदयपुर पहुंचा और शेरसिंहजी के घर जाकर उसने उनको तसल्ली दी । महाराणा ने जब पोलिटिकल एजण्ट के सम्मुख शेरसिंहजी की चर्चा की तब। पोलीटिकल एजण्ट ने उनके दण्ड लेने का विरोध किया। इसी प्रकार मेजर टेलर ने भी इस बात का विरोध किया जिससे महाराणा और पोलिटिकल एजण्ट के बीच मन मुटाव हो गया जो उत्तरोत्तर बढ़ता ही गया । महाराणा ने शेरसिंहजी की जागीर भी जब्त करली परन्तु फिर महाराणा शम्भुसिंहजी के समय में पोलिटिकल मॉफिसर की सलाह से उन्हें वह वापिस लौटा दी गई। .. महाराणा सरूपसिंहजी के पीछे महाराणा शंभुसिंह के नाबालिग होने के कारण राज्य प्रबन्ध के लिये मेवाड़ के पोलिटिकल एजण्ट मेजर टेलर की अध्यक्षता में रीजेंसी बैंसिल स्थापित हुई जिसके और सिंहजी भी एक सदस्य थे । महाराणा सरूपसिंहजी के समय शेरसिंहजी से जो तीन लाख रुपये दणके लिए गये थे वे रुपये इस कौंसिल द्वारा, शेरसिंहजी की इच्छा के विरुद्ध, उनके पुत्र सवाईसिंहजी को वापिस दिये गये। इसके कुछ ही वर्ष बाद शेरसिंहजी के जिम्मे चित्तौर जिले की सरकारी रकम बाकी रह जाने की शिकायत हुई । वे सरकारी तोजी जमा नहीं करा सके और जब ज़्यादा तकाजा हुआ तो सलूम्बर के रावत की हवेली में जा बैठे। यहीं पर इनकी मृत्यु हुई । राज्य की रकम वसूल करने के लिए उनकी जागीर राज्य के अधिकार में करली गई । शेरसिंहजी के ज्येष्ठ पुत्र सवाईसिंहजी उनकी विद्यमानता में ही मर गये थे अतएव अजितसिंहजी इनकी गोद गये पर ये भी निःसंतान रहे तब माँडलगढ़ के चतरसिंहजी उनके गोद गये जो कई वर्षों तक मॉडलगढ़, राशमी, कपासन और कुम्भालगढ़ आदि जिलों के हाकिम रहे। उनके पुत्र संग्रामसिंहजी इस समय महद्वाज सभा के असिस्टेंट सेक्रेटरी हैं। आपने बी. ए. की परीक्षा पास की है। आप बड़े मिलनसार और योग्य व्यक्ति हैं। मेहता गोकुलचन्दजी हम यह प्रथम लिख ही चुके हैं कि मेहतो गोकुलचन्दजी महाराणा सरूपसिंहजी द्वारा प्रधान बनाये गये थे। फिर वि० सं० १९१६ (ई० सन् १८५९) में महाराणा ने उनके स्थान पर कोठारी केसरीसिंहजी को नियत किया । महाराणा शम्भूसिंहजी के समय वि० सं० १९२० (ई. सन् १८६३)
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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