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________________ ओसवाल जाति का इतिहास 'A pair of Cossids from Ujjain (Oujeni) state "Gangaram Kothari is at Jaora with two or four thousand men and four guns, the rest of his troops (ten thousand men and six guns) are in advance at Hatote. After the Dassera, this force will remove to Ratlam for the purpose of routing a body of Arabs who have been plundering that town.' अर्थात् उज्जैन से आये हुए दो कासीदो । ( समाचार वाहक, ) ने सूचित किया कि गंगाराम कोठारी दो या चार हजार भादमियों और चार तोपों के साथ जावरा में डेरा डाले हुए हैं और उनकी बाकी की फौज़े ( १०००० आदमी और ६ तोपें ) हतोद नामक स्थान पर पहले ही पहुँच गई हैं। दशहरे के बाद यह फौज़ रतलाम की ओर आगे बढ़कर अरबों के उस झुण्ड को, जो रतलाम में लूटमार कर रहा है, खदेड़ने का काम करेगी । " उपरोक्त अवतरणों से यह बात स्पष्टतः प्रगट होती है कि महाराजा यशवंतराव होलकर के समय में कोठारी गंगाराम एक बड़े बहादुर सिपहसालार थे और उनकी अधीनता में दस २, पन्द्रह २ हजार फौजें तक उस अशांति के युग में रहती थी । कुशल सेनानायक के अतिरिक्त आप उच्चश्रेणी के शासक भी थे। जिस समय की यह बात है वह समय हिन्दुस्तान के लिये भयंकर अशांति का था । चारों तरफ अराजकता और लूटमार मची हुई थी। ऐसे समय में कई बड़े २ जिलों का प्रबन्ध करना कोई हँसी खेल नहीं था । जावरा रामपुरा, भानपुरा, गरोठ आदि परगनों का आपने जिस योग्यता से प्रबन्ध किया था उससे आपका सफल शासक होना स्पष्टतः सूचित होता है । गंगारामजी काठारी ने अपने अधीनस्थ परगनों में शांति स्थापित करने का बड़ा प्रयास किया । रामपुरा भानपुरा के पास मेवाड़ का जिला आ गया है। वहाँ के राजपूत आसपास के पड़ोसी राज्यों में बहुत लूट मार किया करते थे । होलकर राज्य के जिले भी इनकी लूट मार से बड़े परेशान थे । गंगारामजी कोठारी से यह स्थिति नहीं देखी गई। उन्होने इन राजपूतों को दमन करने का निश्चय किया । तत्काल उन्होंने चढ़ाई कर दी और उक्त राजपूतों को बहुत सख्त सजाएँ दी। इतना ही नहीं, उन्होंने मेवाड़ का धांगड़ महू का किला भी फतह कर किया । झाबुआ आदि रियासतों पर भी इन्होंने चढ़ाइयाँ की थी और उनमें इन्हें सफलता हुई थी। झाबुआ से खिरात वसूल करने के लिये इन्हें ही जाना पड़ता था । हम पहले कह चुके हैं कि गंगारामजी कोठारी बड़े सफल सेना नायक थे । जब महाराजा होल. कर किसी बड़ी चढ़ाई पर जाते थे तब वे अपने इस बहादुर सेनापति को अपने साथ रखते थे। जब यक्ष - १.१५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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