SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1398
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मोसवाल जाति का इतिहास - सेठ मोतीलालजी हीरालालजी सिंधी, बीकानेर यह परिवार मूल निवासी किशनगढ़ का है। वहाँ से सिंघी शेरसिंहजी, बीकानेर आये । आपके पुत्र सिंघी कुंदनमलजी व्यापार के लिए बीकानेर से बंगाल गये। सथा ढाका और पटना में गल्ला का व्यापार आरंभ किया। आपके सिंघी वख्तावरचन्दजी तथा सिंघी मोतीलालजी नामक २ पुत्र हुए। आप दोनों बंधु भी बंगाल प्रान्त में व्यापार करते रहे। सेठ मोतीलालजी सिंघी से पुत्र हीरालालजी का जन्म संवत् १९४४ में हुआ। आपने संवत् १९६९ में कलकत्ते में कपड़े की दुकान खोली । आप बीकानेर के ओसवाल समाज में अच्छे प्रतिष्ठित सज्जन माने जाते हैं। इस समय आप "मोतीलाल हीरालाल" के नाम से कलकत्ते में कपड़े का व्यापार करते हैं। सेठ शालिगराम लुनकरण* दस्सामी का खानदान, बीकानेर सेठ हीरालालजी दस्साणी--इस परिवार के पूर्वज सेठ हीरालालजी दस्साणी का जन्म सं० १८८५ में हुआ । आप बीकानेर में कपड़े का व्यापार करते थे। तथा वहाँ की जनता और अपने समाज में गण्यमान्य पुरुष माने जाते थे । बीकानेर दरबार श्री सरदारसिंहजी एवं श्री डूंगरसिंहजी के समय में आप राज्य को आवश्यक कपड़ा सप्लाय भी करते थे। आपके उदयचन्दजी तथा सालिगरामजी नाम के २ पुत्र हुए। सेठ उदयचन्दजी दस्साणी-आपका जन्म सम्वत् १९१० में हुभा। आप बीकानेर के दस्साणी परिवार में सर्वप्रथम कलकत्ता जाने वाले व्यक्ति थे। बाल्यकाल ही में आपने पैदल राह से कलकत्ते की यात्रा की। एवं वहाँ १२ सालों तक व्यापार कर आप वापस बीकानेर आ गये। तथा यहाँ अल्पवय में सम्वत् १९३९ में स्वर्गवासी हुए । आपके पुत्र सुमेरचन्दजी दस्साणी हुए। . सेठ सालिगरामजी दस्साणी-आपका सम्वत् १९२२ में जन्म हुआ। आप बुद्धिमान, व्यापारदक्ष तथा प्रतिभाशाली सज्जन थे। आपने १३ साल की अल्पवय में पैदल राह द्वारा व्यवसायार्थ कलकत्ते की यात्रा की। एवं वहाँ कुछ समय व्यापार करने के अनंतर बीकानेर के माहेश्वरी सजन सेठ शिवदासजी गंगादासजी मोहता की भागीदारी में कपड़े का व्यापार चाल किया। तथा बाद में शालिगराम सुमेरमल के नाम से अपनी स्वतंत्र दुकानें भी खोली । जिनमें एक पर देशीधोती तथा दूसरी पर विलायती मारकीन का प्रधान व्यापार होता था । इन व्यापारों में आपने कई लाख रुपयों की सम्पत्ति उपार्जित की थी। आप कलकत्ता मर्चेट कमेटी के सदस्य थे। एवं अपने समय के समाज में प्रभावशाली तथा समझदार व्यक्ति माने जाते थे। सम्वत् १९७४ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र लुनकरणजी, मंगलचन्दजी, सम्पतलालजी तथा सुन्दरलालजी इस समय विद्यमान हैं। सेठ सुमेरमलजी दस्साणी-आप भी कलकत्ते के मारवाड़ी व्यापारिक समाज में प्रतिष्ठित सज्जन माने जाते थे। सम्वत् १९७५ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके स्वर्गवासी हो जाने के बाद असहयोग आन्दोलन के कारण उपरोक्त “सालिगराम सुमेरमल" फर्म का काम बंद कर दिया गया। साथ ही सेठ शिवदासजी गंगादासजी की फर्म से भागीदारी भी हटा ली गई । आपके पुत्र सतीदासजी तथा भवरलालजी हैं। खेद है कि आपका परिचय समय पर न माने से यथा स्थान नहीं छापा जा सका । ६९०
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy