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________________ ओसवाल जाति का इतिहास प्रदान है। सुजानगढ़ की जनता में आपके प्रति आदर के भाव हैं। इस समय आप नं ३० काटनस्ट्रीट में जूट का व्यापार करते हैं । आपके पुत्र चैनरूपजी और सोहनलालजी व्यापार में सहयोग देते हैं। ___सेठ ज्ञानचन्दनी का परिवार-सेठ ज्ञानचन्दजी गोहाटी में तत्कालीन फर्म मेसर्स जोधराज जैसराज के यहाँ मेनेजरी का काम देखते थे । आपके तीन पुत्र भैरोंदानजी, जीतमलजी और प्रेमचन्दजी हुए। भैरोंदानजी कम वय ही में स्वर्गवासी हो गये । शेष दोनों भाई और इनके पुत्र वगैरह संवत १९८७ तक जीतमल प्रेमचन्द के नाम से जूट का अच्छा व्यापार करते रहे । तथा आजकल अलग २ स्वतंत्र व्यापार कर रहे हैं। सेठ जीतमलजी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति थे। आपने अपने समय में व्यापार में बहुत उन्नति की। आपका स्वर्गवास हो गया। आपके पुत्र मालचन्दजी, अमीचन्दजी, हुलाशचन्दजी और भिखमचन्दजी हैं। आप लोग सिरसाबाड़ी में "जीतमल जौहरीमल" के नाम से जूट का व्यापार करते हैं। सेठ प्रेमचन्दजी का जन्म संवत् १९३९ है। आप को जूट के व्यापार का अच्छा अनुभव है। आपने अपनी साझेवाली फर्म के काम को बहुत बढ़ाया था। साथ ही कई स्थानों पर उसकी शाखायें भी स्थापित की थी। इस समय आप प्रेमचन्द माणकचन्द के नाम से १०५ चीना बाजर में जूट का अच्छा व्यापार करते हैं । आप मिलमसार संतोषी और समझदार सज्जन हैं । आपकी यहाँ और सुजानगढ़ में अच्छी प्रतिष्ठा है। आपके इस समय माणकचन्दजी, धनराजजी और अमोलमचन्दजी नामक तीन पुत्र हैं। इनमें से बा० माणकचन्दजी फर्म के कार्य का संचालन करते हैं। बाबू धनराजजी बी० काम थर्ड ईयर में पढ़ रहे हैं। आप लोगों का व्यापार कलकत्ता के अलावा ईसरगंज, जमालपुर (मैंमनसिंह ) में भी होता है। आपकी जोर से जमालपुर में जीतमल प्रेमचन्द रोड के नाम से एक पक्का रोड बनवाया हुआ है तथा वहाँ के स्कूल के बोर्डिग की इमारत भी आप ही ने बनवाई है। भोसवाल विद्यालय में भी आपकी ओर से अच्छी सहायता प्रदान की गई है। सेठ भिखनचन्दजी मालचन्दजी सिंघी, सरदारशहर इस खानदान के लोग जोगड़ गौत्र के हैं। मगर संघ निकालने के कारण सिंघी कहलाते हैं। आप लोगों का पूर्व निवास स्थान नाथूसर नामक ग्राम था। मगर जब कि सरदारशहर बसने लगा आपके पूर्वज भी यहीं आ गये। वहाँ सेठ दुरंगदास के गुलाबचन्दजी नामक एक पुत्र हुए। सेठ गुलाबन्दजी जब कि १५ वर्ष के थे सरदार शहर वाले सेठ चैनरूपजी के साथ कलकत्ता गये। पश्चात् धीरे २ अपनी बुद्धिमानी, इमादारी तथा होशियारी से आप इस फर्म के मुनीम हो गये । इस फर्म पर आपने करीब ५० वर्ष तक काम किया। इसके पश्चात् संवत् १९६६ में आपने नौकरी छोड़दी एवम अपने पुत्र भीखनचन्द मालचन्द के नाम से स्वतंत्र फर्म खोली तथा कपड़े का व्यापार प्रारंभ किया। इस फर्म पर डायरेक्टर विलायत से इम्पोर्ट का काम भी प्रारंभ किया गया। इस कार्य में आपको बहत सफलता रही। आपका संवत् १९८३ में स्वर्गवास हो गया। आपके तीन पुत्र हैं जिनके नाम करनीदानजी, भीखनचन्दजी एवम् मालचन्दजी हैं। आप तीनों सज्जन और मिलनसार हैं। करनीदानजी के भूरामलजी और रामलालजी नामक पुत्र हैं। आप लोग भी व्यापार संचालन करते हैं। भूरामलजी के बुधमलजी नामक
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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