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________________ ओसवाल जाति का इतिहास श्री तिलोकचन्दजी बड़े प्रतिष्ठित तथा व्यापार कुशल सजन थे। आपका जन्म संवत् १९४४ में हुआ था। आप दिनाजपुर के म्युनिसीपल कमिश्नर भी रह चुके हैं। दिनाजपुर फर्म का आपने बड़ी योग्यता से संचालन किया था। आपका संवत् १९८१ में स्वर्गवास हुभा । आपके पुत्र लालचन्दजी हैं। ___ श्री फतेचन्दजी-आपका जन्म संवत् १९९० में हुआ। आप चौपड़ा रामसिंहजी के नाम पर दत्तक गये थे लेकिन रामसिंहजी की धर्मपत्नी अत्यंत तपस्विनी थी अतः आप सब के शामिल ही रहते हैं। आप बड़े योग्य, समझदार तथा बुद्धिमान सजन हैं। इस समय आप इनकमटैक्स ऑफीसर हैं। आपके रतनचन्दजी, छगनमलजी तथा अमरचन्दजी नामक तन पुत्र हैं। सुगनचन्दजी का जन्म संवत् १९५२ में हआ। आप मिलनसार हैं तथा इस समय फर्म के सारेकाम को संचालित कर रहे हैं। आपके पृथ्वीराजजी नामक एक पुत्र हैं। गोठी परिवार, सरदारशहर इस परिवार के लोग बहुत समय से सरदार शहर ही में निवास करते चले आ रहे हैं। इस परिवार में सबसे पहले सेठ चिमनीरामजी और आपके भाई चौथमलजी दिनाजपुर गये, एवम् वहाँ सर्विस की। पश्चात् वहाँ से आप लोग जलपाईगोड़ी चले गये। वहाँ जाकर आपने अपनी फर्म स्थापित की, एवम उसमें बहुत सफलता प्राप्त की। आप ही लोगों ने वहाँ बहुत सी जमींदारी भी खरीद की । सेठ टीकमचन्दजी के ६ पुत्रों में से चिमनीरामजी अविवाहित ही स्वर्गवासी हो गये। शेष के नाम क्रमशः जीवनदासजी, चौथमलजी, पांचीरामजी, वख्तावरमलजी और हीरालालजी था। आप लोगों का स्वर्गवास हो गया है। आप लोगों के पश्चात् इस फर्म का संचालन आपके पुत्रों ने किया । आप लोगों की जमींदारी बीकानेर स्टेट, जलपाईगौड़ी, पबना एवम् रंगपुर जिले में हैं। यह जमींदारी अलग २ विभाजित है। संवत १९९१ से आप लोगों का व्यवसाय अलग २ हो गया। इस समय इस परिवार की चार शाखाएँ हो गई जो भिन्न २ नाम से अपना व्यवसाय करती है। जिसका परिचय इस प्रकार है। चौथमल जैचन्दलाल-इस फर्म के मालिक सेठ बिरदीचन्दजी गोठी और आपके पुत्र मदनचन्द जी और जयचन्दलालजी हैं । सेठ बिरदीचन्दजी बड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। गिरधारीमल रामबाल-इस फम के वर्तमान संचालक सेठ रामलालजी गोठी हैं। आपको जूट के व्यापार की अच्छी जानकारी है। अपनी कलकत्ते की सम्मिलित फर्म की सारी उचति का श्रेय आप ही को है। आपके चम्पालालजी, छगनलालजी, नेमीचन्दजी, हनुमानमलजी और रतनचन्दजी नामक पांव पुत्र हैं। गिरधारीनल अभयचन्द-इस फर्म के मालिक सेठ गिरधारीमलजी के पुत्र अभयचन्दजी और सुमेरमलजी हैं। आप दोनों ही मिलनसार और उत्साही नवयुवक हैं। सरदारमल शुभकरन-इस फर्म के मालिक सेठ सरदारमलजी के वंशज हैं । जौहरी लाभचन्दजी सेठ (राकां) का खानदान, कलकत्ता इस खानदान के पूर्वजों का मूल निवास स्थान जयपुर का है। यहाँ पर सेठ अमीचन्दजी बड़े नामी व्यक्ति हो गये हैं। आपके कल्लूमलजो, धनसुखदासजी, हाबूलालजी तथा चन्द्रभानजी नामक चार ६६४
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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