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________________ चोपड़ा चौपड़ा करमचन्दजी का परिवार - चोपड़ा करमचन्दजी के प्सराजजी, लाभूरामजी तथा गुमारामजी नामक ३ पुत्र हुए। आप तीनों भाई देश से व्यापार निमित रंगपुर आये और माहीगंज (रंगपुर ) में वहाँ की प्रसिद्ध फर्म मेसर्स मौजीराम इन्द्रचंद नाहठा के यहाँ सर्विस करते रहे । सेठ दूसराजजी बड़े बुद्धिमान तथा अच्छे व्यवस्थापक थे । आपको बंगला भाषा का भी अच्छा ज्ञान था । आप रंगपुर जिले के नामी व्यक्ति हो गये हैं। आप रंगपुर जिले की म्यु० क० के मेम्बर भी थे। आपका स्वदेश प्रेम भी बदत बढ़ा चढ़ा था । सन् १९०५ की बंगाल स्वदेश मुव्हमेंट में आपने अग्र भाग लिया था तथा तभी आप स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग किया करते थे । आप ही के समय में सम्वत् १९५० में छोगमल तिलोकचन्द चौपड़ा के नाम से माहीगंज से सेठ हरकचन्दजी के पुत्र बीदामलजी के साझे में स्वतंत्र फर्म स्थापित की गई। सम्वत् १९८१ में इस फर्म की एक शाखा कलकत्ता में भी खोली गई थी । सम्वत् १९८७ के पश्चात् सेठ बीदामलजी व सराजजी के परिवार वाले अलग २ हो गये । सेठ प्सराजजी के छोगमलजी तथा रावतमल जी नामक दो पुत्र हुए । श्री छोगमलजी चौपड़ा - आपका जन्म सम्वत् १९४० में हुआ। आपने सन् १९०५ में बी० ए० तथा सन् १९०८ में एल० एल० बी० की परीक्षाएँ पास की। इस समय आप सारे परिवार में समझदार, योग्य तथा बुद्धिमान सज्जन हैं। आप कलकत्ते की ओसवाल समाज के नामी वकीलों में से एक हैं। आप मारवाड़ी चेम्बर आफ कामर्स, मारवाड़ी एसोसिएशन, ओसवाल सभा, ओसवाल नवयुवक समिति आदि कई संस्थाओं के सेक्रेटरी, मेम्बर तथा प्रधान कार्य्यकर्त्ता रहे हैं। आपके इस समय गोपीचन्दजी, भोजराज जी, मेघराजजी, अजीतमलजी तथा भूरामलजी नामक पाँच पुत्र हैं। इनमें गोपीचन्दजी ने सन् १९३३ में एल० एल० बी० पास किया है। शेष सब व्यापार में भाग लेते हैं । लेठ लाभूरामजी के पुत्र मंगलचन्दजी लाहौर की फर्म पर बलौइज फायर इंशुरंस कं० स्विट्जरलैण्ड की जनरल एजेन्सी का सब काम देखते हैं। चौपड़ा गुमानीरामजी के पुत्र इन्द्रचन्दजी, तिलोकचंदजी तथा प्रतापमलजी फर्म के काम में सहयोग देते हैं । आप लोगों की एजेंसी में उक्त इंन्शुरंस कंपनी की पालिसियाँ भी इश्यु की जाती हैं। आप लोगों की “ोगमक रावतमल" के नाम से कलकत्ता में भी एक फर्म है । सेठ हरकचन्दजी का परिवार — सेठ हरकचन्दजी के दू दामलजी, रामसिंहजी, धनराजजी, बीदामल जी, जोरावरमलजी तथा गुमानीरामजी नामक छः पुत्र हुए। सेठ रामसिंहजी व बीदामलजी देश से रंगपुर तथा दिनाजपुर आये तथा वहाँ मौजीराम इन्द्रचन्द्र नाहटा के यहाँ सर्विस करते रहे। आप लोग देश से बंगाल प्रान्त में आते समय देहली तक का मार्ग पैदल तै करते हुए आये थे । आप यहाँ प्रतिष्ठित समझे जाते थे । आपके पश्चात् सेठ बीदामलजी उसी फर्म पर सर्विस करते रहे । तदनंतर आपने संवत् १९५० में माहीगंज में एक फर्म स्थापित की जिसका उल्लेख हम ऊपर कर चुके हैं। इसी समय दिनाजपुर में आपने तिलोकचन्द चौपड़ा के नाम से एक स्वतंत्र फर्म भी व्यापार होता था । इस फर्म पर इस समय " तिलोकचंद आपकी तिलोकचन्द पृथ्वीराज के १९६६ स्वर्गवास हो गया है। स्थापित की थी जिस पर, बैकिंग वगैरह का सुगनमल" नाम पड़ता है। इसके अतिरिक्त नाम से कलकत्ता में एक और फर्म है। सेठ बीदामलजी का संवत आपके पुत्र तिलोकचन्दजी, फतेचन्दजी तथा सुगनचन्दजी हैं। ६६३
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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