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________________ मौसवाल जाति का इतिहास रुगावाल सेठ पन्नालाल शिवराज रूणवाल, बीजापुर इस परिवार का मूल निवास स्थान खुडी-बंडवारा (मेड़ते के पास ) है । आप स्थानकवासी आम्नाय के माननेवाले सज्जन हैं । इस परिवार के पूर्वज सेठ किशनचन्दजी के चतुर्भुजजी, पन्नालालजी, रिधकरणजी तथा इन्द्रभानजी नामक ४ पुत्र हुए। इनमें सेठ चतुर्भुजजी खुड़ी ठाकुर के यहाँ कामदार का काम करते थे । आपका सम्वत् १९६१ में तथा पन्नालालजी का सम्वत् १९४४ में स्वर्गवास हुआ । सेठ चतुर्भुजजी के पूमालालजी तथा सुखदेवजी सेठ पन्नालालजी के शिवराजजी, अभयराजजी तथा चुन्नीलालजी और इन्द्रभानजी के कुन्दनमलजी नामक पुत्र हुए। इनमें पूसालालजी तथा सुखदेवजी स्वर्गवासी हो गये हैं । सेठ पन्नालालजी रूणवाल का परिवार - सेठ पन्नालालजी के बड़े पुत्र शिवराजजी का जन्म सम्वत् १९२४ में हुआ । आप सम्वत् १९४० में बागलकोट आये । तथा सर्विस करने के बाद सम्वत् १९६५ में " प्रेमराज भागीरथ" के नाम से बीजापुर में दुकान की । आपके पुत्र प्रेमराजनी, भागीरथजी, जीतमलजी तथा मूलचन्दजी हैं। जिनमें बड़े तीन पुत्र अपनी तीन दुकानों का संचालन करते हैं। श्री पेमराजजी के पुत्र भंवरू लालजी, हीरालालजी, अजराज, पारसमल तथा दलीचन्द हैं । इसी प्रकार भागीरथजी के पुत्र अम्बा• लालजी तथा मूलचन्दजी के जेठमलजी हैं। शिवराजजी की प्रधान दुकान पर "शिवराज जीतमल " के नाम से रूई तथा अनाज का बड़े प्रमाण में व्यापार होता है। सेठ अभयराजजी का जन्म सम्वत् १९३३ में हुआ । आपके पुत्र राजमलजी, सेठ चुन्नीलालजी के पुत्रों के साथ भागीदारी में व्यापार करते हैं । के सेठ चुन्नीलालजी रूणवाल - आप इस परिवार बड़े समझदार तथा प्रतिष्ठित महानुभाव हैं । आप सम्वत् १९४४ में केवल ९ साल की वय में अपने बड़े भ्राता के साथ जलगाँव आये । तथा वहाँ से आप बागलकोट आये । यहाँ आपने फूलचन्दजी भय्या की दुकान पर सर्विस की । तथा पीछे इस दुकान भागीदार हो गये । सम्बत् १९६४ में आपने "चुन्नी लाल उत्तमचंद” के नाम से रूई तथा आढ़त का व्यापार चालू किया । इस समय आपकी फर्म पर यूरोपियन तथा जापानी आफिसों की बहुत खरीदी रहा करती है। आप बीजापुर की जनता में बड़े लोकप्रिय व आदरणीय व्यक्ति हैं । सम्वत् १९६१ से लगातार १६ वर्षों तक आप जनता की ओर से म्यु० मेम्बर चुने गये। जब आपने म्यु० के लिये खड़ा होना छोड़ दिया, तब सरकार ने आपको आनरेरी मजिस्ट्रेट के सम्मान से सम्मानित किया। और इस सम्मान पर आप अभीतक कार्य्यं करते हैं। इसी तरह आप बीजापुर मर्चेंट एसोशिएसन के प्रेसिडेंट हैं । कहने का तात्पर्य यह कि आप बीजापुर के वजनदार व्यक्ति हैं। आपके उत्तमचन्दजी, दुर्गालालजी, देवीलालजी, केशरीमलजी, पुखराजजी, माणकचन्दजी, मोतीलालजी और साकलचन्दजी नामक ८ पुत्र हैं। इनमें बड़े ३ तीन पुत्र आपकी तीन दुकानों के व्यापार में सहयोग लेते हैं । उत्तमचन्दजी भी म्यु० मेम्बर रह चुके हैं । इसी तरह इस परिवार में सेठ कुन्दनमलजी तथा उनके पुत्र भेरूलालजी और ताराचन्दजी अपना स्वतन्त्र व्यापार करते हैं। सेठ पूसालालजी के ६ पुत्र हैं, जिनमें छोटमलजी तथा बरदीचन्दजी बागलकोट में सेठ बच्छराज कन्हैयालाल सुराणा के साथ तथा शेष ४ बीजापुर में व्यापार करते हैं । ६५४
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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