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________________ गड़िया हुआ | आपके भीकमचन्दजी तथा हीरालालजी नामक २ पुत्र हुए, इनमें हीरालालजी, सेठ हजारीमलजी के नाम पर दत्तक गये । इन दोनों बंधुओं का व्यापार संवत् १९६३ में अलग २ हुआ। सेठ हजारीमलजी संवत् १९७७ में स्वर्गवासी हुए। तथा धनराजजी के कोई संतान नहीं हुई । सेठ हीरालाल जी गांधी- आपका जन्म संवत् १९३१ में हुआ । आप समझदार तथा प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं । आपके यहाँ " हजारीमल हीरालाल ” के नाम से लेन देन तथा कृषि का कार्य्यं होता है। आपके पुत्र हंसराजजी २४ साल के तथा वच्छराजजी २१ साल के हैं। इसी प्रकार सेठ भीकमचन्दजी के हेमराजजी तथा जँवरीमलजी नामक २ पुत्र हुए। इनमें गाँधी जँवरीमलजी तथा हेमराजजी के पुत्र पुखराजजी विद्यमान हैं । आप दोनों सज्जन भी व्यापार करते हैं । यह परिवार हिंगनघाट के व्यापारिक समाज में प्रतिष्ठित माना जाता है । गड़िया मेसर्स पीरदान जुहारमल (गड़िया ) एण्ड संस, त्रिचनापल्ली यह परिवार अपने मूल निवास नागोर से फलोदी, जोधपुर, लोहावट आदि स्थानों में होता हुआ सेठ झुरमुटजी गड़िया के समय में मथानियाँ ( ओसियाँ के पास ) आकर अबाद हुआ। कहा जाता है कि झुरमुटजी ने थोड़े समय तक जोधपुर में दीवानगी के कार्य में मदद दी थी । ये अपने समय के समृद्धि शाली साहुकार थे | एकबार जोधपुर दरबार ने वारेट अमरसिंह को कुछ जागीर देना चाही, उस समय उसने यह कह कर मथाणिया माँगा कि, खम्मा खम्मा कर उठाणिया, देराजा गांव मथानियाँ | बहुत साँवाँ धण पाणियाँ जिण में बसे झुरमुट वाणियां । गड़िया परिवार में सेठ राजारामजी गड़िया जोधपुर में बहुत नामी साहुकारी हुए। इन्होंने संवत् १८७२ में मीरखां को चिट्ठा चुकाने के समय महाराजा मानसिंहजी को बहुत बड़ी इमदाद दी थी । तथा आपने शत्रुंजयजी का विशाल संघ भी निकल वाया था । गड़िया झुरमुटजी के वंश में आगे चलकर गजाजी हुए। इनके पुत्र देवराजजी तथा पौत्र पीरदान जी, चतुर्भुजजी तथा ऊदाजी थे । सेठ पीरदानजी संवत् १९४३ में सेठ रावलमलजी के पारख के साथ त्रिचनापल्ली आये, और थोड़े समय में इनके यहाँ मुनीमात करके फिर उन्हींकी भागीदारी में दुकान की । यह कार्य्यं आप संवत् १९५९ तक करते रहे। इनके ३ वर्ष बाद आपने अपनी स्वतंत्र दुकान तिर ( त्रिचनापल्ली ) में खोली । इधर १५ सालों से सब व्यापार अपने पुत्रों के जिम्मे कर आप देश में ही रहते हैं। इधर आपने संवत् १९८९ में “ पीरदान जुहारमल बैंक लिमिटेड” की स्थापना की है। आपके पुत्र घेवरचंदजी, धनराजजी, लूमचन्दजी, पृथ्वीराजजी तथा गणेशमलजी ( उर्फ चम्पालालजी ) तमाम व्यापारिक काम उत्तमता से संचालित करते हैं। श्री घेवरलालजी का जन्म संवत् १९५२ में हुआ । आप स्थानीय पाँजारापोल तथा जीवदया मंडली के प्रधान हितचिंतक हैं। आप जीवदया संस्था के प्रेसिडेंट हैं । आपके छोटे बंधु लूमचंदजी बैंक के मेनेजिंग डायरेक्टर तथा पांजरापोल के सेक्रेटरी है। आपके बैंक में अंग्रेजी पद्धति से बैंकिंग विजिनेस होता है। इसके अलावा आपके यहाँ ४ दुकानों पर ब्याज का काम होता है । आप सब भाई सरल तथा शिक्षित सज्जन हैं। घेवरचंदजी के पुत्र सिरेमलजी हैं । ६५३
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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