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________________ प्रोसवाल जाति का इतिहास कूच बिहार में दुकान खोली । धीरे २ आपका काम बढ़ने लगा, और आपकी कूच बिहार स्टेट में बहुत सी जमीदारी हो गई । आपके तनसुखदासजी और गुलाबचंदजी नामक दो पुत्र हुए। इन दोनों भाइयों के हाथ से इस फर्म की खूब उन्नति हुई । इंगरगढ़ बसाने में भादाणी तनसुखदासजी ने बहुत मदद दी । भादाणी हरखचन्दजी बीकानेर "राजसभा" के मेम्बर रहे थे । तनसुखदासजी के दौलतरामजी और गुलाब वन्दजी के हरकचन्दजो नामक पुत्र हुए । इनमें से श्री दौलतरामजी का स्वर्गवास संवत् १९७५ में हो गया आपके पुत्र मालचन्दजी विद्यमान हैं। हरखचन्दजी इस समय इस फर्म के खास प्रोप्राइटर हैं। आपके पाँचपुत्र हैं जिनके नाम श्री केशरीचन्दजी, पूनमचन्दजी, मोतीलालजी, इन्द्रराजमलजी और सम्पतरामजी हैं। करीब बीस वर्ष पूर्व इस फर्म की एक शाखा कलकत्ता आर्मेनियन स्ट्रीट में खोली गई है। यहाँ "दौलतराम हरकचंद" के नाम से कमीशन एजंसी का काम होता है। गारिया सेठ सरूपचन्द पूनमचन्द पगारिया, बेतूल इस परिवार के पूर्वज सेठ छोटमलजी पगारिया, गूलर (जोधपुर स्टेट) से लगभग ७० साल पहिले चांदूर बाजार आये, तथा वहाँ से उनके पुत्र सरूपचन्दजी संवत् १९२७ में बदनूर आये तथा सेठ प्रतापचन्दजी गोठी की भागीदारी में "तिलोकचन्द सरूपचन्द" के नाम से कपड़े का कारबार चालू किया, संवत् १९३९ में आपने अपना निज का कपड़े का धंधा खोला, व्यापार के साथ २ सेठ सरूपचन्द जी पगारिया ने २ गाँव जमीदारी के भी खरीद किये, संवत् १९७४ में ६० साल की वय में आपका शरीरान्त हुभा। आपके गणेशमलजी, सूरजमलजी, मूलचन्दजी, चांदमलजी तथा ताराचन्दजी नामक ५ पुत्र हुए हुन भाइयों में से गणेशमलजी १९७१ में तथा मूलचन्दजी १९८२ में स्वर्गवासी हए । सेठ सरजमलजी पगारिया-आपका जन्म संवत् १९३६ में हुआ।आप सेठ "शेरसिंह माणकचंद" की दुकान पर पिताजी की मौजूदगी तक मुनीम रहे । बाद आपने अपनी जमीदारी के काम को बढ़ाया, इस समय आपके यहाँ १० गांवों की जमीदारी है, इसके अलावा बेतूल में कपड़ा तथा मनीहारी काम होता हैं। आपके छोटे बंधु चांदमलजी का जन्म १९४२ में तथा ताराचन्दजी का जन्म १९४९ में हुआ। सेठ गणेशमलजी के पुत्र धरमचन्दजी, सूरजमलजी के पुत्र मोतीलालजी तथा चांदमलजी के पुत्र कन्हैयालालजी व्यापार में भाग लेते हैं। आप तीनों का जन्म क्रमशः सम्वत १९५४ संवत १९६१ तथा १९६० में हुआ। मूलचन्दजी के पुत्र पुखराजजी, जसराजजी, हंसराजजी और ताराचन्दजी के वसंतीलालजी हैं। भटेवा सेठ मोतीचन्द निहालचन्द, भटेवड़ा, बेलुर (मद्रास) इस परिवार के पूर्वज सेठ मनरूपचंदजी भटेवड़ा अपने मूल निवास स्थान पिपलिया (मारवाद) से व्यापार के लिये जालना आये, तथा वहाँ रेजिमेंटल बैकिंग तथा सराफी व्यापार किया । आपका परिवार स्थानकवासी आम्नाय के मानने वाला है। संवत् १९३४ में ६८ साल की वय में आप स्वर्गवासी हुए।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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