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________________ ठाकुर और भादाणी मालिक हैं। आपका संवत् १९३५ में जन्म हुआ है। आप समझदार तथा सज्जन व्यक्ति हैं। आपके हाथों से इस फर्म की बहुत तरक्को हुई। आपने जालना के मन्दिर की प्रतिष्ठा करवाने में दो तीन हजार रुपये लगाये । इसी तरह के धार्मिक कामों में आप सहयोग लेते रहते हैं। इस समय आपके यहाँ लेन-देन, कृषि, तथा सराफी का व्यापार होता है । आपके पुत्र कचरूलाब्जी व्यापार में भाग लेते हैं तथा उत्साही युवक हैं । जालना में यह फर्म अच्छी प्रतिष्ठित मानी जाती है। ठाकुर सेठ देवीचंद पन्नालाल ठाकुर, इन्दौर इस परिवार के पूर्वज अपने मूल निवास ओशियों से कई स्थानों पर निवास करते हुए लगभग २०० साल पूर्व इन्दौर में आकर आबाद हुए । इन्दौर में इस परिवार के पूर्वज सेठ बिरदीचन्दजी अफीम का व्यापार करते थे । आपके पुत्र नाथूरामजी तथा नगजीरामजी “नाथूराम नगजीराम" के नाम से व्यापार करते थे । आप दोनों भाइयों के क्रमशः देवीचन्दजी, तथा शंकरलालजी नामक एक एक पुत्र हुए । ये दोनों भाई अपना अलग २ व्यापार करने लगे । सेठ देवीचन्दजी का परिवार - आप इस परिवार में बड़े व्यवसाय चतुर तथा होशियार पुरुष हुए। आपके पुत्र पन्नालालजी तथा मोतीलालजी ने अपनी फर्म पर चाँदी सोने का व्यवसाय आरम्भ किया । तथा इस व्यापार में अच्छी सम्पत्ति उपार्जित की। सेठ पनालालजी का ९० साल की आयु में संवत् १९९० में स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र सरदारमलजी ६० साल के हैं। इनके पुत्र धन्नालालजी, मनालालजी तथा अमोलकचन्दजी हैं। इनमें अमोलकचन्दजी अपने पिताजी के साथ सराफी दुकान में सहयोग देते हैं । श्री धन्नालालजी तथा मन्नालालजी ठाकुर - आप दोनों बन्धुओं ने इन्दौर की शौकीन जनता की मनःस्तुष्टि के लिये सन् १९२३ में क्राउन सिनेमा तथा सन् १९३४ में रीगल थियेटर का उद्घाटन किया । इन सिनेमाओं में एक में "हिन्दी टॉकी" तथा दूसरी में “अंग्रेज़ी टॉकी" मशीन का व्यवहार किया जाता है। सिनेमा लाइन में आप दोनों बन्धुओं का अच्छा अनुभव हैं। धन्नालालजी के पुत्र हस्तीमलजी तथा बाबूलालजी पढ़ते हैं । मोतीलालजी ठाकुर के पुत्र इन्दौरीलालजी चाँदी सोने का व्यापार करते हैं इनके पुत्र मिश्रीलालजी व्यापार में भाग लेते हैं, तथा कालूरामजी छोटे हैं। इसी प्रकार इस परिवार में शंकरलालजी के पुत्र भगवानदासजी, सूरजमलजी तथा हजारीमलजी हुए। इनमें हजारीमलजी मौजूद हैं। सूरजमलजी के पुत्र ओंकारलालजी तथा हीरालालजी अपने काका के साथ चाँदी सोने का व्यापार करते हैं। ओंकारलालजी के पुत्र रतनलालजी हैं । भादाणी सेठ दौलतराम हरखचन्द मादाणी, कलकत्ता यह परिवार श्वे ० जैन तेरापन्थी आम्नाय को मानने वाला है । आपका मूल निवास स्थान डूंगरगढ़ (बीकानेर) का है। इस खानदान के पूर्व पुरुष भादाणी आशकरणजी ने करीब सौ वर्ष पहले : ६४७
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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