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________________ पोसवाल जाति का इतिहास के नाम से फर्म स्थापित की । ४० साल सम्मिलित व्यापार करने के बाद संवत् १९५४ में "आईदान रामचन्द्र" के नाम से अपना घरू बैंकिंग व्यापार स्थापित किया । आपका राज दरबार और पंच पंचायती में अच्छा सम्मान था। संवत् १९५५ में आप स्वर्गवासी हुए। आप के रामचन्द्रजी, हीराचन्दजी तथा प्रेमचन्दजी नामक तीन पुत्र हुए। अपने पिताजी के पश्चात् आप तीनों बंधुओं ने कार्य संचालित किया। आप तीनों सजन स्वर्गवासी हो गये हैं। सेठ रामचन्दजी के पुत्र ताराचन्दजी छोटी व्यय में स्वर्गवासी हए। वर्तमान में इस परिवार में सेठ हीराचन्दजी के पुत्र दुलहराजजी, मिश्रीलालजी तथा फूलचन्दजी बंगलोर छावनी में सेठ “भाईदान रामचन्द्र" के नाम से बैकिंग व्यापार करते हैं। आप तीनों सज्जनों का जन्म क्रमशः १९४८, ५२ तथा संवत् १९५६ में हुआ। सेठ प्रेमचन्दजी के पुत्र मिठूलालजी बंगलोर सिटी में कपड़े का व्यापार करते हैं। सेठ मिश्रीलालजी बड़े सज्जन तथा शिक्षित व्यक्ति हैं। आपकी दुकान बंगलोर में सबसे प्राचीन तथा प्रतिष्ठित है। आपके पुत्र भंवरलालजी की वय २० साल हैं। लाला दानमलजी बागचार, जेसलमेर लाला अमोलक चन्दजी बागचार - आप जेसलमेर में प्रतिष्ठा प्राप्त महानुभाव हुए। आप का परिवार मूल निवासी जेसलमेर का ही है। आप मीर मुन्शी थे। तथा जेसलमेर रियासत की ओर से मोतमिद बनाकर ए. जी. जी. आदि गवर्नमेंट आफीसरों के पास तथा अन्य राजाओं के पास भेजे जाया करते थे। महारावल रणजीतसिंहजी आपसे बड़े प्रसन्न थे। उन्होंने संवत् १९२० की वेशाख वदी २ को एक परवाने में लिखा था कि "थं बहोत दानतदारी व सचाई के साथ सरकार की बंदगी में मुस्तेद व सावत कदम है."सरकार थारे ऊपर मेहरबान है"। इसी तरह पटियाला दरबारने भी आपको सनद दी थी। आपकी मातमी के लिये जेसलमेर दरबार आपकी हवेली पर पधारे थे। आपके पुत्र लाला माणकचन्दजी हुए। लाला माणकचन्दजी बागचार-आप अपने पिताजी के बाद "बाप" परगने के हाकिम हुए। इसके अलावा आपने रेवेन्यू इन्स्पेक्टर, कस्टम आफीसर तथा बाउण्डरी सेटलमेंट मोतमिद आदि पदों पर भी काम किया। पश्चात् आप जीवन भर "जज" के पद पर कार्य करते रहे। रियासत में आने वाले बृटिश आफीसरों का अरेंजमेंट भी आपके जिम्मे रहता था। आपकी योग्यता की तारीफ रेजिडेण्ट कर्नल एवेट, कर्नल विंडहम तथा मि० हेमिल्टन आदि उच्च पदाधिकारियों ने सार्टिफिकेट देकर की । संवत् १९७८ में आप स्वर्गवासी हए । जेसलमेर दरबार आपकी मातमपुर्सी के लिये आपकी हवेली पर पधारे थे। आपके पुत्र लाला दानमलजी विद्यमान हैं। ____ लाला दानमलजी बागचार-आप अपने पिताजी के बाद "ज्वाइन्ट जज" के पद पर मुकर हुए। इसके पहिले आप "बाप तथा समखावा" परगनों के हाकिम तथा दीवान और दरबार की पेशी पर नियुक्त थे । आपको जेसलमेर दीवान श्रीयुत एम० आर० सपट, ए० जी०जी० भार०ई० हॉलेण्ड आदि कई उच्च आफीसरों न सार्टिफिकेट देकर सम्मानित किया है। संवत् १९८० तक भाप सर्विस करते रहे। आपका खानदान जैसलमेर में प्रतिष्ठा सम्पन्न माना जाता है।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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