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________________ नीमानी सेठ खूबचंद केवलचंद नीमानी, नाशिक इस परिवार का मूल निवास फलोधी (मारवाड़) है। भाप श्वेताम्बर जैन समाज के मन्दिर मार्गीय आम्नाय को माननेवाले सजन हैं। इस परिवार के पूर्वज सेठ रूपचन्दजी नीमानी (रतनपुरा-बोहरा) के पुत्र खुबचन्दजी नीमानी लगभग १०० वर्ष पूर्व मारवाड़ से मालेगाँव (नाशिक) आये तथा वहाँ साधारण कपड़ा विक्री का काम किया । पश्चात् आपने नाशिक भाकर खुर्दा बेंचने का काम किया। इस प्रकार साहस पूर्वक सम्पत्ति उपार्जित कर साहुकारी धंधा जमाया । आपका स्वर्गवास सम्बत् १९१८ में हुआ। आपके पुत्र केवलचन्दजी का जन्म सम्बत् १८८८ में हुआ। आपने इस फर्म के व्यवसाय तथा स्थिति को दृढ़ बनाया। सम्वत् १९४८ में भाप स्वर्गवासी हुए । आपके सेठ अमोलकचन्दजी, सेठ नैनसुखजी तथा सेठ बुधमलजी नीमानी नामक ३ पुत्र हुए। सेठ अमोलकचन्दजी नीमानी-आपने सराफी, कपड़ा किराना आदि का व्यापार कर बहुत सम्पत्ति उपार्जित की। इसके साथ २ आपने अपने खानदान की जगह ज़मीन व लेंडेड प्रापर्टी के संग्रह करने में भी विशेष लक्ष दिया। आपके २ पुत्र हुए, इनमें बड़े भोजराजजी सन् १९१७ में स्वर्गवासी हो गये, तथा उनसे छोटे पृथ्वीराजजी विद्यमान हैं। सेठ नैनसुखदासजी नीमानी-आपके हृदयों में जातीय संगठन की भावनाओं की बहुत बड़ी उमंग थी। आपने सम्बत् १९४७ में महाराष्ट्र प्रांत के तमाम ओसवाल गृहस्थों को एकत्रित कर ओसवाल हितकारिणी सभा का अधिवेशन किया, तथा जातीय सुधार सम्बन्धी २१ नियम बनाये, जिनका पालन माशिक जिले में आज भी कानून की भांति किया जाता है। आप महाराष्ट्र तथा खानदेश के नामीगरामी महानुभाव हो गये हैं। आपको सरकार ने आनरेरी मजिस्ट्रेट का सम्मान दिया था। आपके पुत्र रामचन्द्रजी छोटी वय में ही स्वर्गवासी हो गये थे। सेठ बुधमलजी नीभानी- आपका जन्म सम्बत् १९३३ में हुआ था। भाप नाशिक की जनता में बड़े विद्वान तथा रुबाबदार पुरुष हो गये हैं। आपने अंग्रेज़ी की इंटर तक शिक्षण पाया था। संस्कृत के भी आप ऊंचे दर्जे के विद्वान थे। कानूनी ज्ञान आपका बहुत बड़ा चढ़ा था। आप १६ सालों तक नाशिक में फर्स्ट क्लास आनरेरी मजिस्ट्रेट रहे । इस प्रकार प्रतिष्ठामय जीवन बिताकर सं० १९८२ में आप स्वर्गवासी हुए । वर्तमान में इस परिवार में श्री पृथ्वीराजजी नीमानी विद्यमान है। आपका जन्म सन् १९१. में हुआ है। आपका परिवार महाराष्ट्र तथा नाशिक में नामांकित माना जाता है। आप ३ सालों तक म्यु० मेम्बर भी रहे थे। इस समय लोकल बोर्ड के मेम्बर हैं। आपके नाशिक तथा धूलिया में बहुत से मकामात तथा स्थाई सम्पत्ति है। आपके यहाँ किराया, सराफी तथा टोल कंदाक्टिंग का काम होता है।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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