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________________ ओसवाल जाति का इतिहास फौज का कार्य किया। आप अपने कामों में बड़े ही कुशल थे। भापके कार्यों से प्रसन्न होकर तत्कालीन महाराणा ने आपको मुरजाई नामक गाँव जागीरी में बख्शा। आपके आधीन समय २ पर कई परगने तथा एकलिंगजी के भण्डार का काम भी रहा। अपने छोटे भाई केशरीसिंहजी की मृत्यु के पश्चात् भाप महकमे माल के आफिसर बनाये गये। उसी समय संवत् १९३० में महाराणा ने प्रसन्न होकर आपको पैरों में पहनने के लिये सोने के कड़े प्रदान किये तथा उसी समय भारत सरकार की ओर से दिल्ली दरबार में आपको 'राय' की सम्माननीय पदवी से सम्मानित किया गया । आपके कार्यों से प्रसन्न होकर तत्कालीन पोलिटिकल एजण्ट तथा कई महानुभावों ने आपको सार्टिफिकेट प्रदान किये जिनमें से उदाहरणार्थ एक की नकल यहाँ पर दी जाती है। This is to certify that Kothari Chhaganlal has been in-charge of the Darbar Treasuary during my tenure of office and has performed his duties in a highly satisfactory manner. He is an intelligent and highly respectable Darbar official and a very good man of his inness and I commend him to the notic of my successor. Udaipur S/d M. Miclon 27th November, 1869 Political Agent. पन्नालालजीमेहता मेहता अगरचन्दजी के खानदान में मेहता पन्नालालजी भी बड़े प्रतिष्ठित और प्रतिभा सम्पस व्यक्ति हुए। ये बड़े राजनीतिज्ञ और शासन-कुशल व्यक्ति थे। इनका राजनैतिक दिमाग बहुत मंजा हुआ था। सबसे पहले आप संवत् १९२६ में महाराणा शम्भूसिंहजी के द्वारा महकमा खास के सेक्रेटरी बनाये गये । यहाँ यह बात ध्यान में रखने योग्य है कि यह महकमा खास प्रधान का पद तोड़कर बनाया गया था। मेहता पन्नालालजी के महकमा खास में नियुक्त होते ही महकमा खास का काम जो कि पहले पूरी हालत पर नहीं पहुंच पाया था, इनकी बुद्धिमानी से उत्तरोत्तर तरक्की करने लगा। इसी समय से स्टेट में इन्तिजामी हालत का प्रारम्भ समझना चाहिये । महाराणा साहब की दिली यह ख्वाहिश थी कि मेवाड़ में अनाज बाँट लेने का रिवाज़ बंद कर दिया जाय और इसके स्थान पर ठेकेबंदी होकर नकद रुपया लिया आय । आपने यह इच्छा कोठारी केशरीसिंहजी पर प्रकट की। कोठारी केशरीसिंहजी ने यह काम अपनी जिम्मेदारी पर लिया और करीब १० साल पीछे की आमदनी का औसत निकाल कर बड़ी बुद्धिमानी से ११
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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