SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ३ ] आपका राजनैतिक जीवन समय २ पर अत्यन्त महत्व पूर्ण भागों में काम करता रहा। सबसे पहिले उस जमाने में जब कि भारत की राजनीत गवर्नमेंट को सेवा और राज्य भक्ति में ही सफल समझी - जाती थी, और महात्मा गांधी के समान महापुरुषों तक ने गवर्नमेंट को युद्ध में मदद राजनैतिक जोवन पहुंचाने की अपील की थी। उस समय आग्ने गवर्नमेंट को ५० हजार रुपया वार लोन में प्रदान झिया था। और कुछ रंगरूट भी युद्ध में भेजे थे। इससे गवर्नमेंट बड़ी प्रसन्न हुई। और उसने आपका स्टेच्यू जलगाँव में स्थापित किया, तथा आपको सब प्रकार के हथियारों का फ्री लायसेंस प्रदान किया। इसके पश्चात् जब भारतीय गजनीति का धोरण बदला, तब आपने इस ओर सेवा करना प्रारम्भ किया । जब लोकमान्य तिलक काले पानी से लौट कर मलकापुर पधारे,, तब आप वहाँ की स्वागत समिति के अध्यक्ष थे। - सन् १९९१ में जब महात्मा गान्धी का असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ हुभा तब आपने उसमें भी बड़े उत्साह के साथ भाग लिया, जिसके फलस्वरूप आपको गवर्नमेंट का कोप भाजन बनना पड़ा और आपके लाइसेंस व हथियार जप्त कर लिये गये। सन् १९२० में जलगांव के अन्दर बम्बई प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी का जो अधिवेशन हुआ था, उसके अध्यक्ष आप ही थे। दो वर्ष पूर्व वहाँ जो "स्वदेशी प्रदर्शनी” हुई थी, उसके स्वागताध्यक्ष भी आप ही थे। इसी वर्ष करीब १५ हजार वोटों से बम्बई प्रान्त की तरफ से आर बम्बई की लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य चुने गये थे। इसी से आपकी लोकप्रियता का पता चलता है। इसी समय. आपको हथियारों का लायसेंस पुनः पापिस मिल गया। भाप शुद्ध खदर धारण करते हैं। तथा हर एक राष्ट्रीय कार्य में बड़े ही उत्साह के साथ भाग लेते हैं। _____आपका सामाजिक जीवन आपके राजनैतिक जीवन से भी बहुत उज्वल है। भारतवर्ष के मोसवालों में सुधार और उन्नति की जो लहर पैदा हुई है, उसमें आपका बहुत बड़ा हाथ रहा है। पहिले पहिल आपने खानदेशीय ओसवाल सभा की स्थापना की। उसके पश्चात् मुनी पदमासामाजिक जीवन नन्दजी के सहयोग से आपने अखिल भारतीय मुनि-मण्डलकी स्थापना की। और "मनी" नामक एक मासिक पत्र का भी निकालना प्रारम्भ किया। इसी समय अखिल भारतीय भोसवाल महासभा की भी आपने स्थापना की, और प्रारम्भ में आप ही उसके अध्यक्ष रहे । मालेगाँव में जब इसकी कार्य कारिणी की मीटिंग हुई उसमें करीब 1 हजार प्रतिनिधि आये थे। इसके पश्चात् आपने अपने गतीय युवकों को उच्च शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से अपने पास से २० हजार रुपया देकर “खानदेश एज्यूकेशन सोसायटी" नामक शिक्षण संस्था की स्थापना की। इसके प्रेसीडेण्ट भी आप ही हैं। यह संस्था अभी तक करीव २० हजार रुपये ओसवाल विद्यार्थियों को वितरित चुकी है। और करीव ५२ हजार का फण्ड इसके पास मौजूद है। इसके अतिरिक्त जलगांव के अन्दर आपने ओसवाल जैन बोडिंग की स्थापना की, जिसके अध्यक्ष भी आप ही हैं। जामनेर में आपने अपनी माता श्रीमती भागीरथीबाई के नाम से एक लायब्रेरी की भी स्थापना की । इस लायब्रेरी के पास इस समय करीब २० हजार रुपयों की जायदाद है। अपनी मातृभूमि बड़लू के अंतर्गत भी मापने एक जैन गुरुकुल स्थापित किया है। इसके अध्यक्ष भी आप ही हैं। इसके अतिरिक्त आप चांदवड़ के "नेमिनाथ ब्रह्मचर्याश्रम" के अध्यक्ष तथा अमलनेर
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy