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________________ आसवाल जाति का इतिहास चम्पालालजी जौहरी विद्यमान हैं। वर्तमान में जौहरी महादेवलालजी ही इस परिवार में सब से बड़े हैं। आपको दरबार में कुर्सी प्राप्त है। जौहरी चम्पालालजी के पुत्र उमरावमलजी तथा गुलाबचन्दजी हैं। इनमें गुलाबचन्दजी महादेवलालजी के नाम पर दत्तक गये हैं। श्री उमरावमलजी, समझदार तथा मिलनसार नवयुवक हैं। आप शांति जैन लायब्रेरी के मंत्री हैं। आपके पुत्र मिलाप वन्दजी हैं। __ छोटीलालजी जौहरी-आपका स्वर्गवास हो गया है। आपके पुत्र मुन्नीलालजी तथा चुनीलालजी हुए। इनमें चुनीलालजी जौहरी मूलचन्दजी के नाम पर दत्तक गये। जौहरी मुन्नीलालजी स्थानीय म्युनिसिपैलिटी के मेम्बर, स्थानकवासी जैन सुबोध पाठशाला के ट्रेशर तथा जैन कन्या शाला के प्रेसिडेंट तथा ट्रेशरर हैं। आपके पुत्र रतनलालजी व्यवसाय में भाग लेते हैं। यह खानदान जयपुर के प्रधान जौहरियों में माना जाता है। इस खानदान की फर्म को कई मायसरायों ने सार्टिफिकेट दिये है। कई भारतीय राजा रईसों के यहाँ आपका जवाहरात जाता है। न्यूयार्क लंदन आदि स्थानों पर भी आप जवाहरात भेजते हैं। इस फर्म को लन्दन, कलकत्ता जयपुर आदि प्रदर्शनियों से गोल्ड सिलवर मेडल तथा सार्टिफिकेट मिले हैं। जयपुर के ओसवाल समाज में यह परिवार नामी माना जाता है। यह परिवार स्थानकवासी सम्प्रदाय का अनुयायी है। वर्तमान में इस परिवार का "जौहरीमल दयाचन्द" के नाम से व्यापार होता है । आपकी एक जीनिंग फेक्टरी, कसरावद (इन्दौर) में है। सेठ रिखबदास सवाईराम संखलेचा, खामगांव सेठ रिखबदासजी संखले चा-इस परिवार के पूर्वज रिखबदासजी संखलेचा अपने मूल निवास जोधपुर से व्यापार के लिये संवत् १९२१ में खामगांव आये । तथा आपने सेठ "श्रीराम शालिगराम" के यहाँ २५ सालों तक मुनीमात की। आपका जन्म संवत् १९०२ में हुआ था। इस दुकान पर नौकरी करते हुए आप बून कम्पनी की रुई की आढ़त तथा अपनी घरू आढ़त का व्यापार भी करते थे। इसमें आपने २३ लाख रुपयों की सम्पत्ति उपर्जित की। साथ ही आपने राठीजी के व्यापार की भी काफी वृद्धि की। इस समय उनकी ३० दुकानों की देखरेख व व्यवस्था आपके जिम्मे थी। आप बड़े रुतवेदार तथा वजनदार पुरुष माने जाते थे। संवत् १९९३ में राठी फर्म की ५२ दुकानों का बँटवारा आपही के हाथों से हुआ था। संवत् १९४० में मस्जिद के सामने बाजा बजने के सम्बन्ध में बखेड़ा खड़ा हुआ, उसमें आपने हिन्दू समाज का नेतृत्व किया, तथा उस समय की निश्चित हुई शर्ते इस समय तक पाली जाती हैं। संवत् १९३६ में पानी के बंदोवस्त के लिये तालाब बनवाने में तथा नल का कनेक्शन ठीक करवाने में आपने इमदाद दो । खामगाँव के काटन मार्केट, म्युनिसिपेलेटी आदि के स्थापनकर्ताओं में आपका नाम अग्रगण्य है। कहने का तात्पर्य यह कि भाप खामगांव के नामीगरामी व्यक्ति हो गये हैं। सेठ रिखबदासजी के शांविदासजी तथा गोड़ीदासजी नामक २ पुत्र हुए। भाप दोनों सजनों का जन्म क्रमशः १९४२ तथा संवत् १९५७ में हुआ। सेठ शांतिदासजी खामगाँव सेवा समाज के केप्टन थे। इसी प्रकार माहेश्वरी महासभा के चतुर्थ वेशन भकोले के समय आप असिस्टेंट हेड केप्टन थे। आप मध्य प्रांत तथा बरार की ओसवाल सभा के हर कार्यों में उत्साह से भाग लेते हैं। आप बुलढाणा प्रान्त के
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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