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________________ ओसवाल जाति का इतिहास __ कोचेटा मोतीलालजी-आपका जन्म संवत् १९४८ में हुआ। आप धार्मिक प्रवृत्ति के पुरुष हैं। आपने कई वर्षों तक मलकापुर गोरक्षण संस्था का काम देखा। आप ही के परिश्रम से संवत् १९८२ में मलकापुर में स्थानकवासी सभा का अधिवेशन हुआ, इसकी स्वागत कारिणी के सभापति आप थे । आपने संवत् १९८९ में तमान सांसारिक कार्यों से निवृत होकर दीक्षा ग्रहण की। आप के शेष चारों भ्राता अपनी बोदवड़, खामगाँव, अकोला, अमलनेर तथा मलकापुर दुकानों का संचालन करते हैं। बरार व खानदेश में यह परिवार अच्छी प्रतिष्ठा रखता है। सेठ मूलचन्दजी के पुत्र रतनचन्दजी, भागचन्दजी, भाऊलालजी तथा चम्पालालजी व्यापार में सहयोग लेते हैं। मोतीलालजी के रामलालजी, रिखबदासजी तथा भीमलालजी और हीरालालजी के कान्तिलालजी, मगनमलजी, अजितनाथजी व धरमचन्दजी नामक चार पुत्र हैं। कान्तिलालजी ने कांग्रेस आंदोलन में सहयोग लेने के उपलक्ष्य में तीन मास के लिये कारावास प्राप्त किया है। सेठ मानमल चांदमल कोचेटा, भुसावल यह परिवार पर्वतसर (मारवाड़) का निवासी है। इस परिवार के पूर्वज सेठ मानमलजी, चाँदमलजी तथा वृजलालजी नामक तीन भ्राता व्यापार के लिये भुसावल आये तथा लेनदेन का व्यापार शुरू किया। इन्हीं भाइयों के हाथों से व्यापार को तरक्की मिली। इन तीनों सजनों का स्वर्गवास क्रमशः १९८२, ७७ तथा सं. १९७४ में हुआ । कोचेटा ब्रजलालजी के पनालालजी व केसरीचन्दजी नामक २ पुत्र हुए। इनमें केसरीचन्दजी, मानमलजी के नाम पर दत्तक गये। सेठ पन्नालालजी का स्वर्गवास सं० १९७१ में हो गया। इनके पुत्र कन्हैयालालजी, चाँदमलजी के नाम पर दत्तक गये । सेठ पन्नालालजी के बाद इस दुकान के व्यापार को केसरीचन्दजी तथा कन्हैयालालजी ने ज्यादा बढ़ाया। आपके यहाँ बोदवड़, फैजपुर, व भुसावल के खेती, आढ़त व लेन-देन का म्यापार होता है। तथा आस पास के ओसवाल समाज में अच्छी प्रतिष्ठा रखते हैं। सेठ चाँदमलजी ने बोदवड़ में एक उपाश्रय बनवाया है। इसी तरह अमलनेर के स्थानक में भी आपने सहायता दी। अमलनेर में आपके कई मकानात हैं। श्री कहैयालालजी कोचेटा, वणी (बरार) यह परिवार बडू (जोधपुर स्टेट) का निवासी है। वहाँ से इस परिवार के पूर्वज सेठ हजारीमलजी कोटेचा लगभ ५० वर्ष पूर्व वणी के पास नांदेपेरा नामक स्थान में भाये। आपका स्वर्गवास संवत् १९८० में हुआ। आपने संवत् १९५० के लगभग वणी में सेठ रायमल मगनमल की भागीदारी में हीरालाल हजारीमल के नाम से व्यापार शुरू किया तथा इस व्यापार में अच्छी सम्मति तथा प्रतिष्ठा पाई। आपके पुत्र कन्हैयालालजी विद्यमान हैं। सेठ कन्हैयालालजी कोचेटा की उम्र ४० साल की है। आप इधर दो सालों से “हीरालाल हजारीमल" नामक फर्म से अलग हो कर "मूलचन्द लोनकरण" के नाम से कपड़ा तथा सराफी का अपना स्वतन्त्र व्यापार करते हैं। आप तेरा पंथी आम्नाय के मानने वाले सज्जन हैं, तथा शास्त्रों की अच्छी जान
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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