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________________ मोसवाल जाति का इतिहास संतोषचन्दजी सम्वत् १९३४ में तथा सेठ प्रतापमलजी १९४० में जलगांव आये, और यहाँ कपड़े का व्यापार आरम्भ किया । सम्वत् १९६२ में सेठ फोजमलजी स्वर्गवासी हुए। भापके छोटे भाई बहादुरमलजी के शिवराजजी तथा जुगराजजी नामक २ पुत्र हुए, इनमें जुगराजजी सेठ प्रतापमलजी लूंकड़ के नाम पर दत्तक गये। सेठ शिवराजजी का जम्म सम्बत् १९४९ तथा जुगराजजी का १९५२ में हुआ। आप दोनों सजन “प्रतापमल बुधमल" के नाम से कपड़े का थोक व्यापार करते हैं, तथा जलगाँव के व्यापारिक समाज में प्रतिष्ठित व्यवसायी समझे जाते हैं। इन्दौर में भी आपने एक शाखा खोली है। इसी तरह इस परिवार में सन्तोषचन्दजी के पौत्र (रिखवदासजी के पुत्र ) भंवरीलालजी तथा बंशीलालजी हैं । तथा मोहकमदासजी के पौत्र कन्हैयालालजी आदि बांकोड़ी में व्यापार करते हैं। .. सेठ रेखचन्द शिवराज लूंकड़ का खानदान, फलादी इस परिवार का मूल निवास फलोदी है । आप मन्दिर मार्गीय आम्नाय के माननेवाले हैं। इस परिवार में सेठ मालमचन्दजी के पुत्र गुलाबचन्दजी लकड़ फलादी से पैदल चलकर व्यापार के लिये बड़ोदा गये तथा वहाँ फर्म स्थापित की । आपके पुत्र चुन्नीलालजी का जन्म सम्वत् १८९५ में हुआ। आपने अपने परिवार की प्रतिष्ठा को विशेष बढ़ोया । आप धार्मिक प्रवृति के पुरुष थे। आपका स्वर्गवास सम्बत् १९४४ में हुआ । आपके अनराजजी, चाँदमलजी, रेखचन्दजी, भोमराजजी तथा सुगनमलजी नामक ५ पुत्र हुए, इनमें सेठ अनराजजी का स्वर्गवास सम्वत् १९८५ में तथा चाँदमलजी का सम्बत् १९६५ में हुआ। सेठ चाँदमलजी के पुत्र माणकलालजी पनरोटी में अपना स्वतंत्र व्यापार करते हैं। सेठ रेखचन्दजी लूकड़ का जन्म सम्वत् १९२८ में हुआ। आप फलोदी के ओसवाल समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त व्यक्ति हैं । वृद्ध होते हुए भी आप ओसर मोसर आदि कुरीतियों के खिलाफ़ हैं। आपने संवत् १९५९ में बम्बई में “मूलचन्द सोभागमल" की भागीदारी में व्यापार शुरू किया तथा संवत् १९६६ में स्वतंत्र दुकान की । संवत् १९७२ में आपने पनरोटी (मद्रास) में अपनी दुकान स्थापित की। आपके बदनमलजी, जोगराजजी, शिवराजजी, सोहनराजजी तथा चम्पालाल जी नामक पांच पुत्र हुए। इनमें बदनमलजी का स्वर्गवास अल्पवय में संवत् १९६४ में हो गया, और इनकी धर्मपत्नी ने दीक्षाग्रहण करली । लूकड़ जोगराजजी ने पनरोटी में अपनी स्वतंत्र दुकान करली है तथा शेष तीन भाई अपने पिताजी के साथ व्यापार करते हैं । इस दुकान पर पनरोटी तथा मायावरम् में ब्याज का काम होता है। लूकड़ जोगराजजी के पुत्र मांगीलालजी, शिवराजजी के गजराजजी तथा पारसमलजी और सोहनराजजी, के केशरीमल हैं। सेठ भोमराजजी के पुत्र फकीरचन्दजी हैं। आप पनरोटी तथा राजमनारकोडी में बैंकिंग व्यापार करते हैं, आपके पुत्र देवराजजी तथा जसराजजी हैं। सुगनमलजी के पुत्र नथमल तथा ताराचंद हैं। इस परिवार का व्रत उपवास व धार्मिक कार्यों की ओर बहुत बड़ा लक्ष है। सेठ चत्राजी डूंगरचंद, लूंकड़, बलारी यह परिवार राखी (सीवाणा-मारवाड).का रहनेवाला है। इस परिवार के पूर्वज सेठ चत्राजी ५९०
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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