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________________ लुंकड़ .सेठ रेखचन्दैजी लूंकड़, आगरा इस खानदान का मूल निवास फलोदी (मारवाद) है। संवत् १९०५ में. फलोदी से सैठ . 'सुल्तानमलजी लूकद व्यापार के लिये आगरा आये, तथा सेठ लक्ष्मीचन्द गणेशदास के यहाँ मुनीमात का काम किया । संवत् १९२४ में सेठ सुलतानचन्दजी के पुत्र रेखावन्दजी आगरा आये तथा अपने नाम से फर्म स्थापित की। और इसकी विशेष उन्नति भी आपके ही हाथों से हुई। आप बड़े व्यापार कुशल सज्जन थे। भाप संवत् १९८६ में स्वर्गवासी हुए। इस समय आपके पुत्र नेमीचंदजी तथा फतहचन्दजी व्यापार का संचालन करते हैं। बाप की फर्म "रेखचन्द खून" नाम से बेलनगंज आगरा में व्यापार करती है। इस दुकान पर कई मिलों की सूत तथा कपड़े की एजन्सियां हैं। तथा इस व्यापार में आगरे में यह फर्म बहुत भातवर मानी जाती है । फलोदी में भी आपका परिवार प्रतिष्ठा सम्पच हैं। सेठ सागरमल नथमल लूंकड़, जलंगांव इस परिवार का मूल निवास पेजड़ली (जोधपुर स्टेट) में है। यह परिवार स्थानकवासी मानाप का माननेवाला है। देश से सेठ सागरमलजी लूकड़ जलगांव जाये, तथा सेठ जीतमल तिलोकचन्द की भागीदारी में व्यापार आरम्भ किया है। आपने अपनी बुद्धिमत्ता एवं होशियारी से व्यापार में सम्पत्ति उपार्जित कर अपने परिवार की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है। सेठ सागरमलजी ने जलगांव ओसवाल जैन बोडिंग हाउस को 14.) की सहायता दी है। इस संस्था के तथा स्थानीय पांजरापोल के आप सेक्रेटरी हैं। जलगांव के व्यापारिक समाज में आप प्रतिष्ठित व्यापारी माने जाते हैं। आपका हैड ऑफिस “सागरमल नथमल" के नाम से जलगांव में है। आपने अपनी दुकान की शाखाएँ इन्दोर, खंडवा, तथा बुरहानपुर में भी स्थापित की हैं । इन सब दुकानों पर कपड़े तथा सूत का थोक व्यापार होता है। बुरहानपुर के ताप्ती मिल की एजेंसी भी इस फर्म के पास है। इस समय सेठ सागरमलजी के पुत्र नथमलजी, पुखराजजी, मोहनलालजी तथा चन्दनमलजी हैं। ये चारों बंधु पढ़ते हैं। सेठ प्रतापमल बुधमल लूंकड़, जलगांव इस परिवार के पूर्वज मूल निवासी फलोदी के हैं। वहीं से इस परिवार के पूर्वज सेठ महराजजी सम्वत् १६८३ में सीलारी (पीपाड़ से ५ मील) आये। इनकी छठी पीढ़ी में लूकड़ गुमानजी हुए.। इनके सरदारमलजी तथा मूलचन्दजी नामक दो पुत्र थे। सम्वत् १८६९ मैं सेठ सरदारमलजी पैदल मार्गद्वारा बॉकोड़ी (अहमद नगर) भाये । पीछे से आपके छोटे भ्राता मूलचन्दजी के पुत्र मोहकमदासजी भी सम्वत् १८९६ में बाँकोड़ी आये । सेठ सरदारमलजी के पुत्र सेठ बुधमलजीतू कब हुए। , बुधमलजी के फौजमलजी, बहादुरमलजी, संतोषचन्दजी तथा प्रतापमलजी नामक १ पुत्र हुए। इनमें से बाँकोड़ी से सेल
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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