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________________ भोसवाल जाति का इतिहास मजिस्ट्रेट, लोकलबोर्ड के चेअरमेंन और डिस्ट्रीक्टबोर्ड के मेम्बर हैं । गवर्नमेण्ट से १९३० मैं आपको राय साहब की उपाधि प्राप्त हुई। आपके इस समय छः पुत्र हैं। आपके प्रथम पुत्र बाबू इन्द्रचन्दजी बी० ए० बी० एल० हैं। आप यहां पर वकालात करते हैं । इनसे छोटे बाबू विजयचन्दजी, श्रीचन्दजी प्रेमचन्दजी और हरकचन्दजी है। बाबू इन्द्रचन्दजी के दो पुत्र हैं। जिनमें बड़े का नाम रिखवचन्दजी हैं। बाबू केशरीचन्दजी-आपका जन्म संवत् १९४६ में हुआ। आपके इस समय दो पुत्र हैं जिनके माम क्रम से बाबू सौभागचन्दजी और कपूरचन्दजी हैं। बिहार शरीफ में यह परिवार बहुत प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित हैं। यहाँ पर भापकी बहुत बड़ी जमींदारी है। सेठ गुलाबचन्द हीराचन्द सचेती, अजमेर इस परिवार का मूल निवास स्थान मेड़ता (जोधपुर स्टेट ) में है। इस परिवार के पूर्वज सेठ जयचंदजी तथा उनके पुत्र अभयराजजी और पौत्र लक्ष्मीचंदजी वही निवास करते रहे। सेठ लक्ष्मीचंद जी के रूपचंदजी तथा वृद्धिचन्दजी नामक २ पुत्र हुए। वहाँ से सेट रूपचन्दजी व्यापार के लिये अजमेर तथा वृद्धिचन्द गवालियर गये। सेठ वृद्धिचन्दजी सचेती-आपकी योग्यता से प्रसन्न होकर गवालियर स्टेट ने आपको अपनी ट्रेलरी का खजांची बनाया। सन् १८५७ के गदर में आपने खजाने की ईमानदारी पूर्वक रक्षा की। संवत् १९९५ में आपने गवालियर से श्री सिद्धाचलजी का संघ निकाला । संवत् १९२४ में आपने खजांची के पद से इस्तीफा दिया। इस कार्य के साथ आप अपना साहुकारी व्यापार भी करते थे। आपकी राज दरवार तथा व्यापारिक वर्ग में अच्छी प्रतिष्ठा थी। आपने गवालियर मंदिर में संगमरमर के अष्ठापदजी व नंदेश्वरजी बनवाये, आपने फलोदी पार्श्वनाथ नामक प्रसिद्ध तीर्थ में मंदिर के चारों ओर विशाल परकोटा बनवाया। आपके नाम पर गुलाबचन्दजी सचेती उदयपुर से दत्तक लाये गये । - संठ गुलाबचन्दजी सचेतो-आप अपने पिताजी के साथ तमाम धार्मिक कामों में सहयोग देते रहे। संवत् १९४३ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र सेठ हीराचन्दजी सचेती हुए। सेठ हीराचन्दजी सचेती-आपके पिताजी ने संभवनाथजी व आदीश्वर के मंदिर का व दादावादी वगेरा का प्रबंध भार अपने ऊपर लिया। तब से आप लोग इन संस्थाओं के कार्य को भली प्रकार संचालित कर रहे हैं। आप इस समय ओसवाल हाई स्कूल के प्रेसिडेंट हैं। इसके स्थापन में आपका उत्तम सहयोग रहा है। स्थानीय ओसवाल औषधालय के भी आप प्रेसिडेंट हैं। इसके अलावा आप श्वे जै. कान्फ्रेस के अजमेर मेरवाड़ा प्रान्त के सेक्रेटरी तथा स्टैंडिंग कमेटी के मेम्बर हैं। संवत् १९६४ में आपने अजमेर स्टेशन के सम्मुख एक सराय बनवाई है, इस समय आपके ५ पुत्र हैं जिनके नाम बाबू रतनचन्दजी जतनचन्दजी, दौलतचन्दजी, कुशलचन्दजी, और इन्द्रचन्दजी हैं। आप सब बंधु सुशील, विनम्र तथा अपने पिता के पूर्ण आज्ञाधारक हैं। सचेती रतनचन्दजी का जन्म संवत १९६५ में हमा। आप फर्म के वेडिग व्यापार को समालते हैं। आपसे छोटे जतनचन्दजी का जन्म १९६९ में हुभा। आपने गत वर्ष भागरे से बीकॉम की परीक्षा पास की है। बाबू रतनचन्दजीके नजरचन्द्र तथा इन्द्रचन्द्र नामक २ पुत्र हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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