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________________ सटिक जीवनचन्दजी, मदनचन्दजी, केवलचन्दजी, सखरूपचन्दजी, लालचन्दजी, मोतीचन्दबी, पदमचन्दनी तथा प्रेमचन्दजी हैं। श्रीयुत बहादुरमलजी का जन्म संवत् १९३४ में हुमा । भाप संवत् १९५१ में मनास बाये और अपने बड़े भाई सखलालजी के साथ २ व्यवसाय करने लगे भापक इस समय दोपत्र जिनके माम सागरमलजी तथा समरथमलजी हैं। श्री कानमलजी का जन्म संवत् १९४१ में हुमा। भाप संवत् १९५५ में मद्रास भावे । आपके इस समय चार पुत्र हैं जिनके नाम सरदारमलजी, लक्ष्मीमलजी, कृपाचन्दजी और प्रकाशामजी हैं। इस समय आप तीनों भाइयों की स्वतंत्र तीन दुकाने मद्रास में हैं। आप तीनों भाइयों की तरफ से नागौर स्टेशन पर एक धर्मशाला बनी है। इसी के अन्दर एक मंदिर भी बनवाया गया है। मुनीम भंवरलालजी समदरिका मेहता, उजैन इस परिवार के सज्जनों का मूल निवासस्थान मेड़ता (जोधपुर ) का था। वहीं से सेठ मेहकरन जी अपने पुत्र शिवकरनजी और पूसकरनजी के साथ उज्जैन आये । यहाँ आपने दस्तकारी का काम प्रारंभ किया। शिव करनजी के कोई संतान नहीं हुई। पुसकरनजी के कस्तूरचन्दजी और उनके सीतारामजी धूलचन्दजी घेवरमलजी और रतनलालजी नामक चार पुत्र हुए। सीतारामजी बड़े समझदार वयोवृद्ध पुरुष हैं। भाजकल आप मत्रालाल भागीरथ की उज्जैन फर्म पर केशियर हैं शेष तीनों भाई इन्दौर ही में व्योपार करते हैं। सीतारामजी के पाँच पुत्र है जिनके नाम क्रमशः भंवरलालजी, पन्नालालजी, हीरालालजी, माणकलालजी और चांदमलजी हैं। भंवरलालजी, रा० ब० सेठ तिलोकचन्द कल्याणमल की उज्जैन वाली फर्म पर मुनीम है आपके नरेन्द्रकुमारसिंहजी नामक एक पुत्र हैं। खांटेड श्री कनीरामजी खांटेड़ का परिवार बगड़ी (सेठ सागरमल चुनीलाल ट्रिवल्लूर) इस परिवार के मालिकों का मूल निवासस्थान बगड़ी (मारवाद) का है। भाप श्वेताम्बर जैन समाज के मन्दिर आनाय को मानने वाले खांटेड गौत्रीय सज्जन है। इस परिवार में श्री कनीरामजी हुए जिनके दो पुत्र मगनीरामजी तथा माणिकचन्दजी हुए । सेठ मगनीरामजी के दो पुत्र हुए जिनके नाम श्रीयुत हंसराजजी और मुलतानमलजी था।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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