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________________ मौसवाल जाति का इतिहास सेठ गंगारामजी भूतेड़िया का परिवार, लाड़न दूसरे पुत्र सेठ हजारीमलजी बड़े व्यापार इस परिवार के लोग बहुत समय से लाडनूं में ही रहते हैं। इस परिवार में से गंगारामजी बड़े मशहूर व्यक्ति हुए । इन्होंने वर्द्धमान (बङ्गाल ) में जाकर अपनी फर्म स्थापित की थी । इनके तिलकचन्दजी, छोटू लालजी और वींजराजजी नामक तीन पुत्र हुए। भाप लोगों ने व्यापार में बहुत तरक्की की। आप तीनों पीछे जाकर भलग २ हो गये, एवम् स्वतन्त्र व्यापार करने लगे । सेठ तिलोकचन्दजी का परिवार-सेठ तिलोकचन्दजी के कुशल व्यक्ति थे । आपने लाखों रुपयों की सम्पत्ति उपार्जित की। आप लाडनूं की पंच पंचायती में आगे वान थे । आपका स्वर्गवास हो गया। इस समय आपके जयकरनजी और मालचन्दजी नामक दो पुत्र हैं। दोनों ही गूंगे और बहरे हैं । आपका व मान में गंगाराम तिलोकचन्द के नाम से व्यापार होता है । सेठ हजारीमलजी के भाई सेठ मोहनलालजी के परिवार के लोग इस समय वद्धमान में तिलोकचन्द मोहनलाल और राजशाही में मोहनलाल जयचन्द के नाम से व्यापार कर रहे हैं। सेठ छोटू लालजी का परिवार — आपके चार पुत्र सेठ हरकचन्दजी, जुहारमलजी, चांदमलजी और शोभाचंदजी हुए। सेठ जुहारमलजी बड़े व्यापार कुशल व्यक्ति थे । आपने कलकत्ता में मेसर्स छोटूलाल जुहारमल के नाम से फर्म स्थापित की। आपका संवत् १९८८ में स्वर्गवास हो गया। आपके सूरजमलजी और कुन्दनमलजी नामक दो पुत्र हुए। आप दोनों भाई अलग अलग रूप से व्यापार करने लगे । सेठ सूरजमलजी उपरोक्त फर्म के नाम व्यापार करते हैं। आप धार्मिक व्यक्ति हैं। आपके इस समय पूनमचन्दजी, बुधमलजी और लालचन्दजी नामक तीन पुत्र हैं। आप तीनों भाई मिलनसार हैं। प्रथम दो व्यापार संचालन करते हैं। तीसरे पढ़ते हैं। इस फर्म का आफिस ३९ लाईव स्ट्रीट में है । इस पर ब्याज बैंकिंग और जूट बेलिंग का व्यापार होता है । सेठ चांदमलजी ने मेसर्स छोटूलाल चांदमल के नाम से कलकत्ता में फर्म स्थापित की। इसमें आपने अच्छा लाभ उठाया। आपका स्वास्थ्य खराब रहने से यह फर्म उठा दी गई। आप बड़े व्या चतुर और बुद्धिमान सज्जन थे। आपका स्वर्गवास हो गया। शेष जीवनमलजी और धनराजी इस समय विद्यमान हैं। आप दोनों भाई उत्साही और मिलनसार व्यक्ति हैं। इस समय आपकी फर्म मेसर्स गंगाराम छोटूलाल के नाम से वर्द्धमान में ब्याज, हुंडी चिट्ठी और जमींदारी का काम कर रही है। आपकी ओर से लाड़नूं की गौशाला में ४१००) प्रदान किये गये हैं। तथा एक धर्मशाला बनी हुई है । वमान में २०० वर्षों से आपकी फर्म स्थापित है । stefor सेठ संतोषचंद रिखबदास कांसटिया, भोपाल इस खानदान के पूर्वज सेठ ऋषभदासजी कांसठिया मेड़ते में निवास करते थे । आप गरोठ हाते हुए आस्टा (भोपाल स्टेट) आये और यहाँ १०-१५ साल रहकर फिर भोपाल में आपने अपना स्थाई ५६६
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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