SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1185
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पारस सेठ जुगराज केसरीमल पारख, येवला (नाशिक) इस परिवार का मूल निवास तीवरी (जोधपुर स्टेट ) है इस परिवार के पूर्वज पारख लूमचंद जी के पुत्र भीमराजजी तथा दईचंदजी दोनों भाइयों ने मिलकर संवत् १९९० में पेवले में कपड़े की दुकान की। इसके थोड़े समय के बाद दुकान की शाखा नांदगांव में खोली गई। भाप दोनों भाइयों ने दुकान के व्यापार तथा सम्मान को तरकी दी। तथा अपनी दुकान की शाखा बम्बई में भी खोली। भाप दोनों सजनों का स्वर्गवास हो गया है। वर्तमान में इस परिवार में सेठ भीमराजजी के पौत्र ( कानमलजी के पुत्र) उदयचंदकी तथा खेतमलजी और दईचंदजी के पुत्र जुगराजजी विद्यमान हैं। सेठ भीवरानजी के पुत्र कानमलजी का स्वर्गवास संवत् १९७५ में हो गया है। इस समय सेठ जुगराजजी इस परिवार में बड़े हैं। आपका जन्म संवत् १९४५ में हुआ। इस समय आपके यहाँ भीजराज देवीचंद के नाम से बम्बई में, भीमराज कानमल के नाम से नांदगांव में तथा जुगराज केशरीमल के नाम से येवला में कपड़े की आदत आदि का व्यापार होता है। यह परिवार तीवरी, बम्बई, येवला आदि स्थानों में अच्छी प्रतिष्ठा रखता है। तथा मंदिर मार्गीप मानाय का मानने वाला है। मुनीम फतेचंदजी पारख, उज्जैन संवत् १८९२ में इस परिवार के प्रथम पुरुष सेठ फूलचन्दजी बीकानेर से वजरंगगढ़ नामक स्थान पर आये । यहाँ आकर आपने देनलेन का व्यापार शुरू किया। आपके पुत्र पूनमचन्दजी बड़े व्यापार कुशल और सजन व्यक्ति थे। आपने अपने व्यवसाय की उन्नति के साथ २ जमींदारी की खरीद की। आपका धार्मिकता की ओर भी अच्छा ध्यान था। आपका स्वर्गवास हो गया। इस समय आपके पुत्र सेठ फतेचन्दजी इन्दौर के प्रसिद्ध सेठ सर स्वरूपचन्द हुकमचन्द की उज्जैन दुकान पर मुनीम हैं। भापका स्वभाव मिलनसार है। यहाँ भापकी अच्छी प्रतिष्ठा है। आपने भी बहुत सी जमींदारी खरीद की हैं। बजरंगगढ़ के पंचायती बोर्ड के आप सरपंच रहे थे। उज्जैन की मंडी कमेटी के श्राप चौधरी रहे। इस समय आपके तीन पुत्र हैं, जिनके नाम हीराचन्दजी, रतनचन्दजी. और इन्द्रचन्दजी हैं। आपकी पुत्री श्री नाथीबाई ने आचार्या प्रमोद श्री जी के उपदेश से जैन धर्म में साध्वीपन ले लिया है। इस समय उनका नाम राजेन्द्र श्री जी है। सेठ अजीतमल माणकचन्द पारख, बीकानेर इस परिवार के पूर्व पुरुष सेठ सुल्तानमलजी करीब १५० वर्ष पूर्व बीकानेर भाकर बसे थे। आपके पुत्र सेठ अबीरचन्दजी ने आगरे में सेठियों की फर्म पर सर्विस की । आपके हमीरमजी, सुगनमलजी सुमेरमलजी और चन्दनमलजी नामक चार पुत्र हुए। सेठ सुगनमलजी मे कलकत्ता भाकर सेठ रिखलाल श्रीकिशन के यहाँ नौकरी की। आपका स्वर्गवास हो गया। आपके फवेचन्दजी और नेमीचन्दजी नामक दो पुत्र हए। सेठ फतेचंदजी कुछ महाजनी का हिसाब किताब सीखकर बरोरा नामक स्थान पर चले आये।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy