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________________ पारख साय अलग किया। आपका जन्म संवत् १९०० में हुआ। इस समय आप अपने काका अचलदास जी के पुत्र रूपचन्दजी उदयराजजी तथा जुगराजजी के साथ त्रिचनापल्ली में "अचलदास फूलचन्द" के नाम से व्यापार करते हैं । सेठ अचलदासजी का व्रम ४५ साल की है। सेठ धूलमलजी का जन्म १९४२ में हुआ। आपके लालचन्दजी, मोतीलालजी, कंवरीलालजी, इन्द्रचन्द्रजी, राजमल, मोहनलाल आदि ८ पुत्र है। आप के वहां जेठ "भूलचन्द लालचन्द" के नाम से बैकिक व्यापार होता है । सेठ रावतमलजी का स्वर्गवास २५ साल की अल्पायु में होगया । आपके कोई संतान नहीं है। यह परिवार त्रिचनापल्ली तथा फलोदी में अच्छी प्रतिष्ठा रखता है । संवत् १९७८ से आपने फलोदी में अपना निवास बना लिया है । यह परिवार स्थानकवासी आम्नाय मानने वाला है । सेठ हजारीमल भीकचंद पारख, त्रिचनापल्ली यह कुटुम्ब लोहावट ( मारवाड़ ) का निवासी है। इस परिवार के पूर्वज पारख फतेचन्दजी के रावतमलजी, रिदमलजी, जयसिंहदासजी, शिवजीरामजी, वख्तावरमलजी, मुकुन्दचन्दजी तथा मगनीरामजी नामक ७ पुत्र हुए। इनमें सेठ शिवजीरामजी लगभग सौ साल पूर्व देश से भाकर बलारी, हैदराबाद, कामठी भादि स्थानों में रेजिमेंटल बैंकर्स का काम करते रहे, यहाँ से लगभग ७५ साल पहिले आप त्रिचनापल्ली आये । इन्होंने अपनी उमर में लगभग ५० सालों तक रेजिमेंटल बैंकर्स का काम किया । आपके साथ व्यापार में रिदमलजी के पुत्र रावतमलजी और रतनलालजी, जयसिंहदासजी के पुत्र चुनीलाल जी तथा आपके पुत्र चांदनमलजी और हजारीमलजी भी सम्मिलित रूप में "शिवजीराम चंदनमल" के नाम से व्यापार करते थे । सेठ शिवजीरामजी पारख के स्वर्गवासी होजाने के बाद उनके पुत्र चांदनमलजी तथा हजारीमलजी ने बेलगाँव ( महाराष्ट्र ) में दुकान खोली, तथा संवत् १९६१ तक दोनों बंधुओं का सम्मिलित व्यापार होता रहा । सेठ चादनमलजी की आयु ८० साल की है, और आप लोहावट में रहते हैं । आपके पुत्र सुगनचन्दनी का संवत् १९६८ में स्वर्गवास होगया है । सेठ हजारीमलजी पारख अपने जीवन के अंतिम पंद्रह साल देश में धार्मिक जीवन विताते हुए संवत् १९७६ में स्वर्गवासी हुए। आपके भीकमचन्दजी तथा खेतमलजी नामक २ पुत्र हुए। आप दोनों भाइयों ने सन् १९१६ में त्रिचनापल्ली में दुकान खोली । इस समय आपके यहां ३ दुकानों पर सराफी का व्यापार होता है । सेठ भीकमचन्दजी का जन्म संवत् १९४९ में आपके पुत्र हुआ नैनसुखजी भी व्यापार में भाग लेते हैं । खेतमलजी के पुत्र राणूलाल तथा शांतिलाल बालक हैं । खेतमलजी का धार्मिक कामों की ओर ज्यादा लक्ष है। यह परिवार मन्दिर मार्गीय भाम्नाय का है । सेठ रावतमल जोगराज पारख, त्रिचनापल्ली इस परिवार का मूल निवास लोहावट ( मारवाड़ ) है । हम ऊपर लिख चुके हैं कि सेठ फतेचन्दजी के ७ पुत्र थे । इनमें द्वितीय तथा तृतीय पुत्र रिदमल और जयसिंहदासजी से इस ५४९
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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