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________________ छाज सभा सोसायटियों व डिपार्टमेंटों के मेम्बर रहे। आपको किसनगद स्टेट में भी शाह की पदवी तथा दरबारी बैठक दी थी। आपके छोटे भ्राता अमरचन्दजी तमाम कामों में भापका साथ देते रहे। भाप दोनों बन्धु इस समय किशनगढ़ में रहते हैं। गोपीचंदजी के पुत्र बालचन्दजी, सुगनचन्दजी, पेमचन्दजो तथा गुलाब चन्दजी हैं । अमरचन्दजी के पुत्र घेवरचन्दजी मेट्रिक पास है। श्री प्रतापमलजी छाजेड़, जोधपुर प्रतापमलजी छाजेड़ उन व्यक्तियों में है, जो अपनी बुद्धिमत्ता एवं परिश्रम के बलपर साधारण स्थिति से उन्नति कर समाज में एक वजनदार स्थान प्राप्त करते हैं। भापके पिताजी पचपदरा में नमक का व्यापार करते थे उनका संवत् १९७२ में स्वर्गवास हुआ। इनके प्रतापमलजी, मीठालालजी तथा मिश्रीमलजी नामक ३ पुत्र हुए। प्रतापमलजी छाजेड़-आपका जन्म संवत् १९४४ में हुआ। आप सन् १९०२ में पचपदरा साल्ट हि० की हुकूमत में अहलकार हुए। वहाँ से १९१३ में जोधपुर भाये तथा इसके एक साल बाद मारवाद की वकीली परीक्षा में प्रथम श्रेणी में सर्वप्रथम उत्तीर्ण हुए। तबसे भाप जोधपुर में प्रेक्टिस करते है. तथा यहाँ के प्रसिद्ध वकील माने जाते हैं। आपको स्थानीय वार एसोसिएशन ने अपना प्रधान चुनकर सम्मानित किया है। जोधपुर के हिन्दू मुसलमानों के बकरों के सम्बन्ध के झगड़े में तथा दोनों कौमों के तालाब के मगहों में स्टेट कौंसिल ने इन्हें झगडा निपटाने वाले सदस्यों में निर्वाचित किया था। हाई कोर्ट की वकालत के सिवाय आप कई प्रसिद्ध ठिकानों के वकील भी हैं। भाप जोधपुर राजकुमारी (बाईजीलाल) के विवाह के समय कोटा दरबार के कैम्प के प्रवन्धक मुकर्रर हुए थे। हरएक अच्छे कामों में आप सहायताएँ देते रहते हैं। जोधपुर के ओसवाल समाज में तथा शिक्षित समाज में मापकी उत्तम प्रतिष्ठा है। आपके पुत्र सोहनलालजी पढ़ते हैं। आपके भाई मीठालालजी "हजारीमल प्रतापमल" के नाम से भादत का व्यापार करते हैं तथा उनसे छोटे मिश्रीलालजी छाजेड़ जोधपुर के सेकंड क्लास वकील हैं। श्री सरदारमलजी छाजेड़, शाहपुरा इस परिवार का मूल निवासस्थान जयपुर स्टेट के मालपुरा नामक स्थान में है। वहाँ से छाजेड़ करमचंदजी तथा उनके पुत्र कल्याणमलजी व्यापार के लिये मालवे की ओर जा रहे थे तब उन्हें तत्कालीन शाहपुराधीश महाराजा उम्मेदसिंहजी ने अपने यहाँ रोक लिया। तबसे यह परिवार शाहपुरा ही में निवास करता है। कल्याणमलजी के पुत्र बखतमलजी तथा पौत्र जोरावरमलजी शाहपुरा के ऑनरेरी कामदार थे । जोरावरमलजी को राजाधिराज अमरसिंहजी ने देनेपेटे उदयपुर दरबार के यहाँ मोल में रक्खा था । शाहपुरा दरबार की नाराजी हो जाने से आप अपनी जागीर तथा जायदाद छोड़कर सरवाद चले गये थे, वहाँ से पुनः विश्वास दिला कर आप बुलवाये गये। इनके पुत्र नथमलजी तथा पौत्र चांदमलजी हुए। छाजेड़ चांदमलजी ने महाराजा छछमणसिंहजी तथा नाहरसिंहजी के समय में वर्षों तक कामदारी की। मापने उदयपुर स्टेट से कोशिश करके तलवार बंधाई की रकम वापस की। भापके तेजमलजी, सगतमलजी
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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