SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भोसवाल जाति का इतिहास हजारीमलजी था । फतेचन्दजी का कम वय में ही स्वर्गवास होगया। शेष तीनों भाइयों के हाथों से इस फर्म की अच्छी तरक्की हुई। मगर संवत् १९४२ के बाद ही आप लोग अलग २ होगये और स्वतन्त्र रूप से अपना २ व्शपार करने लगे । सेठ बापूलालजी बड़ी सरल प्रकृति के पुरुष थे। यहां की जनता में आपका अच्छा सम्मान थी । आप का स्वर्गवास संवत् १९८४ में होगया । आपके छगनलालजी, सौभागमलजी, कनकमलजी, चांदमलजी और लालचंदजी नामक पांच पुत्र हैं। इनमें से सेठ कनकमलजी अपने चाचा सेठ हजारीमल जी के यहां दत्तक गये । शेष चारों भाई शामलात में श्रीचन्द बापूलाल के नाम से व्यापार कर रहे हैं। आप लोग मिलनसार सज्जन हैं। आज भी गांव की चौधरायत आप ही के पास है । सेठ कस्तूरचन्दजी भी योग्य सज्जन थे । आप आजीवन व्याज का काम करते रहे। आपके कोई पुत्र न होने से आपके नाम पर सूरजमलजी दशक लिये गये हैं। वर्तमान में आप श्रीचंद कस्तूरचन्द के नाम से व्यापार करते हैं। आपके इन्दौरीलालजी नामक एक पुत्र हैं । • सेठ हजारीमलजी ने अपने भाइयों से अलग होकर व्यापार में बहुत तरक्की की। आप चतुर व्यापारी थे । आपने अफीम के वायदे के व्यवसाय में लाखों रुपये की सम्पति उपार्जित की। आपका स्वभाव बड़ा आनन्दमय और मिलनसार था । आपके यहां सेठ कनकमलजी दशक भये । वर्तमान में आप श्रीचंद हजारीमलजी के नाम से ब्याज का काम करते हैं। आप परोपकारी, शिक्षित और सज्जन व्यक्ति हैं । आपने हजारों लाखों रुपया सार्वजनिक काय्यों में खर्च किया है। आपकी ओर से एक कन्या पाठशाला, प्रसूतिगृह, पब्लिक लायब्रेरी इत्यादि संस्थाएँ चल रही हैं। इन सबका खर्च आप ही उठाते हैं। इसके अतिरिक्त आपने लोगों की सुविधा के लिये स्थानीय स्मशानघाट को पक्का बनवा दिया है। मन्दिर में आपने ७०००) की एक चांदी की वेदी भेंट की है। आपके पिताजी के नाम पर आपने नगर चौरासी की उसमें डेढ़ लाख रुपया खर्च किया । इसी प्रकार आपके पुत्र जन्म पर ५० हजार रुपया खर्च हुआ। लिखने का मतलब यह है कि आपने अपने हाथों से लाखों रुपया खर्च किया । आपके इस समय अभयकुमारजी नामक एक पुत्र है । बड़नगर में यह परिवार बहुत प्रतिष्ठित माना जाता है । सेठ उकारजी लालचन्दजी नांदेचा ( खेत पालिया ), मुल्यान ( मालवा ) इस परिवार वालों का वास्तविक गौत्र नांदेचा है, मगर बहुत वर्ष पूर्व इस खानदान के पुरुष खेताजी पर एक बार क्षेत्रपालजी बहुत प्रसन्न हुए थे अतएव तब ही से ये लोग खेतपालिया कहलाने लगे। इसके बाद करीब २५० वर्ष पूर्व इस परिवार के लोग मालवा प्रांत में आकर बसे । सेठ गुमानजी के पिताजी ने मुल्थान में अफीम का व्यापार करना प्रारम्भ किया। इसमें उन्हें अच्छी सफता ! मिली आपके बाद सेठ गुमानजी ने फर्म का संचालन किया । आप दबंग व्यक्ति थे । आपका व्यापार मोघिये लोगों से होता था, अतएव यह परिवार मोधिया वाले के नाम से प्रसिद्ध है । आपके ओंकारजी नामक एक पुत्र हुए । ५३८
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy