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________________ भोसवाल जाति का इतिहास । इस पाठशाळा को आपने १५ हजार की लागत की एक बिल्डिंग भी दी है। यह परिवार बगड़ी में अच्छी प्रतिष्ठा रखता है । नथमलजी के पुत्र सम्पतराजजी तथा केसरीचंदजी और हुकमचन्दजी के पुत्र सुगनचन्दजी हैं। सेठ फतेमल अजितसिंह धाड़ीवाल, भीलवाड़ा सोहड़जी की ३५ वीं पुश्त में मेघोजी नामक व्यक्ति हुए। इनके देवराजजी और हंसराजजी नामक दो पुत्र थे । इनमें से सेठ हंसराजजी गुजरात प्रांत छोड़कर सांगानेर नामक स्थान पर आये । यहाँ आपके दौलतरामजी और सूरजमलजी नामक दो पुत्र हुए। अपने पिता के स्वर्गवासी हो जाने पर आप दोनों भाई अलग हो गये। इनमें दौलतरामजी भीलवाड़ा तथा सूरजमलजी सरवाड़ नामक स्थान पर चले गये । सेठ दौलतरामजी के गंभीरमलजी और नथमलजी नामक दो पुत्र हुए। सेठ गंभीरमलजी बड़े व्यापार कुशल व्यक्ति थे । आपने व्यापार में लाखों रुपये पैदा किये । आपकी उस समय जाबद, शाहपुरा, कंजेड़ा आदि कई स्थानों पर शाखाएँ थीं । सेठ नथमलजी भीलवाड़ा जिले के हाकिम हो गये थे। आपकी यहाँ बहुत प्रतिष्ठा थी । आपके नाम पर तिंवरी से नवलमलजी दत्तक आये । सेठ गंभीरमलजी के भी कोई पुत्र म था, अतएव आपके नामपर सर वाड से कल्याणमलजी दत्तक आये । आप लोगों ने भी अपने व्यवसाय की अच्छी तरक्की की । संवत् १९२२ में फिर आप लोग अलग २ हो गये । सेठ कल्याणमलजी के तीन पुत्र हुए जिनके नाम क्रमशः फतेमलजी, जवानमलजी और इन्द्रमल जी हैं। इनमें से फतेमलजी अपने चाचा नवलमलजी के नाम पर दत्तक रहे । जवानमलजी का स्वर्गवास हो गया । इन्द्रमलजी अपने पुराने आसामी देनलेन के व्यवसाय का संचालन कर रहे हैं। आपके रिषभचंदजी और पार्श्वचन्दजी नामक २ पुत्र हैं। प्रथम बी० ए० में पढ़ रहे हैं। सेठ फतेमलजी इस समय अपने पुराने व्यवसाय का संचालन कर रहे हैं। यहाँ की ओसवाल पंचायती में आपका बहुत सम्मान है । आपके द्वारा कई फैसले किये जाते हैं। आपके अजीतमलजी नामक एक पुत्र हैं। आप अभी विद्याध्ययन कर रहे हैं। अजीतमलजी के भँवरलालजी नामक एक पुत्र हैं । श्री शिवचंदजी धाड़ीवाल, अजमेर 1 शिवचन्दजी घाड़ीवाल - आपका जन्म सम्वत् १९२३ में अजमेर में हुआ । सम्वत् १९४४ से आप २८ सालों तक बीकानेर स्टेट में डिप्टी सुपरिन्टेन्डेण्ट बन्दोवस्त अफसर कइतसाली, रेलवे इन्सपेक्टर और कई जिलों के हाकिम रहे | आपको उर्दू और फारसी का अच्छा ज्ञान है। आपके गोपीचन्दजी तथा हीरा. चन्दजी नामक २ पुत्र हुए। शिवचन्दजी के छोटे भ्राता हरकचन्दजी एल एम० एस० कई स्थानों पर मेडिकल आफीसर रहे । सम्वत् १९७२ में उनका स्वर्गवास हुआ। उनके नाम पर हरीचन्दजी दत्तक गये । गोपीचन्दजी घाड़ीवाल - आपका जन्म संवत् १९५२ में हुआ । आपने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बी० एस० सी० एल० एल० बी० की डिगरी हासिल की। फिर २ साल अजमेर में वकालत करने के बाद भाप मेसर्स बिड़ला ब्रदर्स लिमिटेड के जूट डि० में नियुक्त हुए। और इस समय आप इस फर्म के असिस्टेंट ५१४
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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