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________________ भोसवाल जाति का इतिहास चन्द नौलखा अस्पताल भवन के लिये दिये। इसी प्रकार २५ हजार की रकम मापने कलकत के शम्भूनाथ हास्पिटल में सर्जिकल वार्ड बनाने के लिये दिये। सरकार ने आपके कार्यों के सम्मान स्वरूप आपको सन् १९१० में "राय बहादुर" की पदवी प्रदान की। इतना ही नहीं सरकार ने आपको कलंगी के रूप में खिल्लत दे आपका भादर किया। आपका स्वर्गवास संवत् १९७० में हुआ । आपके दो पुत्र थे जिनके नाम बाबू भानन्दसिंह नौलखा और बाबू इन्द्रचन्द्रजी नौलखा थे। भाप दोनों ही क्रमशः सन् १९०४ और सन् १९०८ में निसन्तान स्वर्गवासी हुए। अतएव आपके नाम पर बाबू निर्मलकुमारसिंहजी नौलखा सुजानगढ़ से दत्तक भाये। निर्मलकुमारसिंहजी नोलखा आपने १९७६ में स्टेट का कार भार सम्हाला । आप बहुत होनहार राष्ट्रीय विचारों के शिक्षित नवयुवक हैं। आपको शुद्ध खहर से बड़ा स्नेह है। आप जैन श्वेताम्बर सभा अजीमगंज, जियागंज एडवर्ड कोरोनेशन स्कूल के व्हाइस प्रेसिडेण्ट और अजीमगंज के म्युनिसिपल कमीभर हैं। १९१६ में आपकी ओर से यहां एक बालिका विद्यालय खोला गया है। इसके अलावा भाप बंगाल लैंड होल्डर्स एसोसियेशन, कलकत्ता क्लब, ब्रिटिश इण्डिया अशोसिएसन आदि संस्थाओं के भी मेम्बर हैं। हाल ही में आपने जैन श्वेताम्बर अधिवेशन अहमदाबाद के सभापति का स्थान आपने सुशोभित किया था। शिक्षा एवम् सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ धार्मिक कामों की ओर भी आपका अच्छा लक्ष्य है। संवत् १९८२ में महात्मा गांधीजी अजीमगंज आये थे उस समय भापने १० हजार रुपया उनकी सेवा में भेंट किया था उसी साल जैनाचार्य ज्ञानसागरजी महाराज को भी ज्ञान भंडार में १० हजार रुयया दिया था । श्री पावापुरीजी में गांव के जैन श्वेताम्बर मन्दिर के जीर्णोद्धार में २० हजार रुपया गाया। आपको पुरातत्व विषयों से भी बहुत स्नेह है। आपने अपने बगीचे में पुरानी बस्तुओं का एक संग्रह कर रखा है। इस समय आपके चरित्र कुमार सिंहजी नामक एक पुत्र है । आपकी बहुत से स्थानों पर जमींदारी है। तथा कलकत्ता अजीमगंज, और बड़िया, अकबरपुर, फबाड़ गोला इत्यादि स्थानों पर बैंकिंग, पाट और गल्ले का व्यापार होता है। नौलखा परिवार, सीतामऊ कहा जाता है कि जब महाराजा रतनसिंहजी इधर मालवे में भाये तब इस खानदान वाले भी साथ थे। उनकी पत्नी यहां रतलाम में सती हुई, जिनके स्मारक रूप में आज भी चबूतरा बना हुआ है। और भाज भी इस परिवार के लोग अपने यहां होने वाले शुभ कार्यों पर पूजा करने के लिये वहां जाया करते हैं। यहीं से करीब १२५ वर्ष पूर्व सेठ धनाजी के पुत्र हरीरामजी सीतामऊ आये । यहाँ भाकर आपने स्टेट के खजाने का काम किया। भापके बड़े पुत्र हरलालजी आजीवन स्टेट के हाउस होल्ड आफिसर तथा छोटे पुत्र सवालालजी हाकिम रहे। स्टेट में भापका अच्छा सम्मान था। सेठ हरलालजी के जैतसिंहजी और रामलालजी नामक दो पुत्र हुए । आप लोग भी स्टेट में सर्विस करते रहे। जैतसिंहजी के नन्दलालजी, खुमानसिंहजी और लालसिंहजी नामक तीन पुत्र हुए । इनमें लालसिंहजी. रामलालजी के नाम पर दत्तक रहे। प्रथम दो भाइयों का स्वर्गवास होगया। इस समय मंदलालजी के वस्तावरसिंहजी और किशोरसिंहजी नामक पुत्र विद्यमान है।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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