SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भोसबाल बाति का इतिहास की परीक्षा पास की आप बड़े प्रतिभाशाली व्यापार निपुण तथा नवीन स्प्रिट के व्यक्ति हैं । आपके मीवन का बहुत सा समय पब्लिक सेवाओं में व्यतीत होता है। खानदान के व्यापार में प्रविष्ट होकर आपने अपने बड़े प्राता लाला रतनचन्दजी के काम में बहुत हाथ बंटाया है। आपने जापान से डायरेक्टर इम्पोर्ट का व्यापार शुरू किया। आप यहां की “को एज्यूकेशन" की भादर्श संस्था श्री रामाश्रम हाई स्कूल के सेक्रेटरी हैं। इसके अलावा आप अमृतसर की लोकल जैन सभा, और वॉयस्काउट सेवा समिति के सेक्रेटरी है। लाहौर के हिन्दी साहित्य मण्डल लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के आप चेअरमैन हैं । आपके विचार बड़े मंझे हुए हैं। आपके इस समय ६ पुत्र हैं उनमें लाला अमरचंदजी इन्टरमिजिएट में तथा लाला भूपेन्द्रनाथजी मेट्रिक में पढ़ रहे हैं। लाला हंसराजजी-आपका जन्म संवत् १९५६ का है। सन् १९१५ में आपने मेट्रिक पास करके व्यापारिक लाइन में प्रवेश किया। आपकी व्यापारिक दृष्टि बहुत बारीक है। लाला नंदलालजी-लाला गंडामलजों के पौत्र लाला नन्दलालजी बड़े धार्मिक तथा तपस्वी पुरुष हैं। आपके जीवन का अधिकांश समय धार्मिक कामों में ही व्यय होता है। गृहस्थावस्था में रहते हुए भी आपने एक साथ इकतीस इकतीस उपवास किये। छोटी अवस्था में ही आपकी पत्नी का स्वर्गवास होगया था, तब से आप ब्रह्मचर्य प्रत धारण किये हैं। इस समय इस परिवार में सोने के थोक एक्सपोर्ट का व्यापार होता है । अमृतसर के सोने के व्यापारियों में यह फर्म बजनदार मानी जाती है। इस फर्म की यहाँ पर चार शाखाएँ हैं। जिन पर बैटिग, सोना, चांदी, होयजरी तथा जनरल मर्चेटाइज़ एवं इम्पोटिंग विजिनेस होता है। इस खानदान ने पंजाब प्रांत में ओसवाल समाज के दस्सा तथा बीसा फिरकों में शादी विवाह होने में बहुत लीडिंग पार्ट लिया है। लाला श्रद्धामल नत्थूमल बरड़, अमृतसर इस खानदान में लाला नन्दलालजी के पुत्र लाला राजूमलजी और उनके पुत्र लाला हरजसरायजी हुए। लाला हरजसरायजी के पुत्र लाला श्रद्धामलजी हुए। ___ लाला श्रद्धामलजी-आपका जन्म सम्वत् १८८० में हुआ। आप बड़े विद्वान और जैन सूत्रों के जानकार थे। शुरू २ में ओपने अमृतसर में शालों की दूकान खोली और उसकी एक ब्रांच कलकत्ते में भी स्थापित की। जिस समय आपने कलकत्ते में दूकान खोली उस समय रेलवे लाइन नहीं खुली थी। अतएव आपको टमटम, छकड़ा आदि सवारियों पर कलकत्ता जाना पड़ा था। आपके छः पुत्र हुए जिनके माम क्रमशः हरनारायणजी, निहालचन्दजी, खुशालचन्दजी, गंगाविशनजी, राधाकिशनजी और शालिगरामजी था। लाला निहालचन्दजी-आपका जन्म सम्वत् १८९९ में हुआ आप भी बड़े धार्मिक पुरुष थे। आपका स्वर्गवास सम्वत् १९५९ में हुभा । आपके लाला नत्थुमलजी, लक्खीरामजी और लालचन्दजी नामक तीन पुत्र हुए।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy