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________________ बोरड़-बरड़ लाला रतनचंद हरजसराय बरड़, अमृतसर इस खानदान के लोग पहिले गुजराज (पंजाब) में रहते थे। उसके पाचात् यह खानदान सम्बड़ियाल ( स्यालकोट) में आकर बसा। वहाँ से काला गण्डामलजी के पुत्र लाला सोहनलालजी अपना व्यापार जमाने अमृतसर में आये। तब से यह खानदान अमृतसर में बसा हुआ है। लाला सोहनलालजी-आपने अमृतसर में आकर जवाहरात का ज्ञान प्राप्त किया। जवाहरात का काम सीख कर आपने मूंगा का ब्यापार शुरू किया इस व्यापार में आप साधारणतया अपना काम करते रहे। आप उन भाग्यवानों में से थे जो अपनी पांचवीं पुश्त को अपने सामने देख लेते हैं। केवल ४० सालकी आयु में ही कारोबार से मन खींच कर आपने धर्म ध्यान में अपना मन लगाया। आप जैन सिद्धान्त के अच्छे विद्वान थे। आपका स्वर्गवास सन् १९०५ में हुआ। आपके लाला उत्तमचन्दजी तथा तथा लाला हाकमरायजी नामक २ पुत्र हुए। यह परिवार स्थानकवासी आम्नाय का मानने वाला है। लाला उत्तमचन्दजी-आप बड़े प्रेमपूर्ण हृदय के तथा उदार स्वभाव के व्यक्ति थे। अमृतसर की बिरादरी तथा व्यापारिक समाज में आपकी बड़ी साख तथा व्यापारिक प्रतिष्ठा थी। भापका स्वर्गवास सन् १९०५ में अपने पिताजी के १ मास पूर्व होगया था। आपके छोटे भ्राता लाला हाकमरायजी का स्वर्गवास भी सन् १९०४ में होगया। और इसके थोड़े समय पहिले काला हाकमरायजी का । मापसे अलग होगया था। लाला उत्तमचन्दजी के लाला जगनाथजी नामक ! पुत्र हुए। - लाला जगन्नाथजी-आप शुरू २ असली मंगे का तथा उसके बाद नकली मंगे का व्यापार करने लगे। उसके बाद आप व्यापर से तटस्थ होकर धर्म ध्यान की ओर लग गये। आप पंजाब जैन सभा तथा लोकल सभा के जीवन पर्यंत मेम्बर रहे। इन सभाओं द्वारा पास होने प्रस्तावों को सबसे पहिले व्यवहारिक रूप मापने ही दिया। आपका स्वर्गवास सन् १९३० में हुआ। आपके लाला रतनचंद जी, लाला हरजसरायजी तथा लाला हंसराजजी नामक ३ पुत्र हुए। लाला रतनचंदजी-आपका जन्म संवत् १९४५ में हुआ। आपके हाथों से इस खानदान के व्यापार, व्यवसाय और आर्थिक स्थिति को बहुत उन्नति मिली। आप बड़े व्यापार कुशल और बुद्धिमान व्यक्ति हैं म्यापारिक मामलों में आपका मस्तिष्क बहुत उन्नत है। सामाजिक तथा धार्मिक कामों में भी भापकी अच्छी रुचि है। आप पंजाव स्थानकवासी जैन सभा वाइस प्रेसीडेण्ट रह चुके हैं। अजमेर साधु सम्मेलन की एक्झीक्यूटिव कमेटी के भी ओप मेम्बर थे। अमृतसर के लेस फीता एसोसिएसन के भी आप प्रेसिडेण्ट रह चुके हैं। आपके प्रेसिडेण्ट शिप में अमृतसर में इस व्यापार ने बहुत उन्नति की है। धार्मिक व सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में आप हमेशा अप्रगण्य रहते हैं। आपकी बड़ी कन्या कुमारी शकुंतला ने हाल ही में "हिन्दी रत्न" की परीक्षा पास की है। आपके बाबू शादीलालजी, सुरेन्द्रनाथजी सुमति प्रकाश, जगत्भूषण, व देशभूषण नामक ५ पुत्र हैं। उनमें बाबू शादीलालजी, फर्म के व्यापार में मदद देते हैं। आपका जन्म संवत् १९६४ में हुआ। आपके ४ पुत्र हैं। बाबू सुरेन्द्रनाथजी इस समय इंटर में पढ़ रहे हैं। तथा २ स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं। लाला हरजसरायजी-आपका जन्म संवत् १९५४ का है। सन् १९१९ में आपने बी० ए० ५२३
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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