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________________ मोसवाल जाति का इतिहास शाहपुरा (मेवाड़ ) का चोरड़िया खानदान यह खानदान पहिले चित्तौड़गढ़ में निवास करता था। वहाँ से चोरड़िया डूंगरसिंहजी संवत् १७४५ में शाहपुरा भाये। इनके वेणीदासजी तथा फतेचन्द जी नामक र पुत्र हुए। इनमें वेणीदासजी शाहपुरा स्टेट के कामदार थे। इनको संवत् १८०३ की सावण सुदी १५ को मांडलगढ़ का शिवपुरी नामक गांव जागीर में मिला था। इनके नारायणदासजी, खुशालचन्दजी, बरदभानजी, लखमीचन्दजी तथा शिवदासजी नामक ५ पुत्र हुए। इन बंधुओं में चोरड़िया खुशालचन्दजी महाराजा के साथ उज्जैन के युद्ध में तथा विरदभानजी मेड़ते की लड़ाई में काम आये। नारायणदासजी चोरड़िया का परिवार-शाह नारायणदासजी चोरड़िया बड़े प्रतापी व्यक्ति हुए । जब शाहपुरा अधिपति महाराजा उम्मेदसिंहजी मेवाड़ की तरफ से मरहठों से युद्ध करते हुए उज्जैन में काम आये। उस समय उनके पुत्र रणसिंहजी को आपने गद्दी पर बिठाया। इसके उपलक्ष में महाराजा रणसिंहजी ने नारायणदासजी को निम्न लिखित परवाना दिया। सिद्धश्री महाराजाधिराज श्री रणसिंहजी बचनात सहा नारायणदासजी दसे सुप्रसाद बंच्या अपंच थे म्हाका श्याम धरमी छो सो रणसिंहजी का बेटा पोता पीढ़ी दरपीढ़ी पाटवी ने सपूत कपूत ने थान में सूं आखी में सूं आदी देर अरोगसी थांकी राह मुरजाद श्री महाराज वांदी जी सुं सवाई रियां करसी ....."संवत् १८२६ का वैशाख सुदी। कहने का तात्पर्य यह कि मेहता नारायणदासजी अपने समय के नामांकित व्यक्ति थे। आपके जयचन्दजी तथा बदनजी नामक २ पुत्र हुए। इन दोनों सज्जनों के अजीतमलजी तथा चतुर्भजजी नामक दो पुत्र हुए। इन दोनों भाइयों को महाराजा अमरसिंहजी ने संवत् १८५८ में कई गांव जागीरी में दिये, साथ ही उदयपुर महाराणाजी ने भी साख रुक्के और बैठक देकर इनको सम्मानित किया। अजीतमलजी के पश्चात् क्रमशः खुशालचन्दजी, रघुनाथसिंहजी मुलतानचन्दजी तथा छगनमलजी हुए। ये बंधु भी रियासत की सेवा करते रहे। चोरडिया छगनलालजी का स्वर्गवास छोटी वय में संवत् १९५७ में हुआ। भआपके नाम पर चमणमलजी के पुत्र अमरसिंहजी चोरड़िया दत्तक आये हैं। अमरसिंहजी चोरड़िया-आपका जन्म संवत् १९४० में हुआ बहुत समय तक आप राजाधिराज सर नाहरसिंहजी के प्राइवेट सेक्रेटरी रहे। आप समझदार तथा प्रतिष्ठित सज्जन हैं। तथा इस समय राज्य में सर्विस करते हैं। आपके पुत्र नाथूसिंहजी हैं। इसी तरह इस परिवार में चतुरभुजजी के पौत्र ( चरणमलजी के पुत्र ) सरदारसिंहजी तथा अखोसिंहजी अजमेर में रेलवे विभाग में सर्विस करते हैं। शाह बरधभानजी चोरड़िया का परिवार-हम ऊपर लिख चुके हैं कि शाह वर्द्धमानजी चोरड़िया मेड़ते में बहादुरी पूर्वक युद्ध करते हुए मारे गये थे। इनके पश्चात् की पीढ़ियों ने भी कई शाहपुरा राज्य की सेवाएं की इस परिवार में चोरदिया जोरावरमलजी शाहपुरा स्टेट के दीवान रहे। समय २ पर इस परिवार को शाहपुरा दरबार से सम्मान एवं खास रुक्के भी प्राप्त होते रहे हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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