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________________ बोहरा आप अपनी आय में से दो आना रुपया धर्म और ज्ञान के खातों में लगाते हैं। प्रेमाश्रम पिपलिया को आपने बड़ी सहायता दी । आपके पुत्र गणपतराजश्री, मोहनलालजी और सम्पतराजजी हैं। इनमें गणपतराजजी व्यापार में भाग लेते हैं । आपकी वय २० साल की है। सेठ रघुनाथमल रिधकरण बोहरा बम्बई सेठ रघुनाथमलजी रतनपुरा- बोहरा जोधा की पालड़ी ( नागोर) से । कुचेरा तथा वहां से जोधपुर आये वहीं उनका स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र रिधकरणजी का जन्म संवत् १९३२ में हुआ । आप संवत् १९४४ में देश से हैदराबाद सिंकराबाद गये । तथा वहाँ से बम्बई आकर नौकरी की । पीछे से आपने कपड़े की दलाली का काम किया । इस प्रकार अनुभव प्राप्त कर आपने आढ़त का कारबार शुरू किया । तथा अपने अनुभव तथा होशियारी के बल पर काफी उच्चति की । बम्बई के मारवाड़ी आढ़तियों में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा है। आप इधर १४ सालों से नेटिव्ह मरचेंट एसोशियेसन बम्बई के सेक्रेटरी हैं । आपके यहाँ रघुनाथमल रिधकरण के नाम से विट्ठलवाड़ी बम्बई में आदत का काम होता आप मन्दिर मार्गीय आम्नाय के मानने वाले हैं। 1 श्री मूलचंदजी बोहरा, अजमेर अजमेर के ओसवाल समाज में जो लोग समाज सेवा के कार्य में उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं उनमें श्री मूलचन्दजी बोहरा का नाम विशेष उल्लेखनीय है । कई जातीय और सामाजिक संस्थाओं से आपका सम्बन्ध है, गत वर्ष ओसवाल - सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन करने के सम्बन्ध में जो सभा हुई थी उसके सभापति आप हीं थे । आप सामाजिक विषयों पर गम्भीरता से विचार करते हैं । बम्बई की एक संस्था ने "ओसवाल जाति की उन्नति” पर निबन्ध लिखने के लिये कुछ पुरस्कार की घोषणा की थी उसमें सबसे प्रथम पुरस्कार आपको अपने निबन्ध के लिये मिला था । सार्वजनिक काय्यों में भी अपनी परिस्थिति के अनुसार आप भाग लेते रहते हैं । चोरडिया चोरड़िया गौत्र की उत्पत्ति कहा जाता है कि चंदेरी नगर के राजा खरहतसिंह राठोर को जैनाचाय्यं जिनदत्तसूरिजी ने संवत् ११९२ में जैनधर्म से दीक्षित किया । इनके बड़े पुत्र अम्बदेवजी ने चोरों को पकड़ा व उनके बेड़िये डालीं। इससे चोर बेड़िये या चोरों से भिड़िये कहलाये । आगे चलकर यही नाम अपभ्रंश होते हुए " चोरड़िया ” नाम से प्रसिद्ध हुआ । ५०९
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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