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________________ भोसवाल जाति का इतिहास का आप बड़ी तत्परता से संचालन करते हैं। कुलपाकजी तीर्थ की ख्याति वृद्धि करने में आपके पिताजी की तरह आप भी सचेष्ट हैं। यह फर्म यहाँ के व्यापारिक समाज में बहुत प्रतिष्ठित है । पीरचन्दजी छल्लाणी का परिवार कोलार गोल्डफील्ड इस खानदान वाले जेतारण के रहने वाले हैं। आप स्थानकवासी आम्नाय को मानने वाले हैं। इस खानदान में छहलानी पीरचंदजी हुए जिनके सूरजमलजी, गुलाबचंदजी, घेवरचंदजी और प्रतापमलजी नामक चार पुत्र हुए। श्री सूरजमलजी का संवत् १९२१ में जन्म हुआ । आपका धर्मध्यान की तरफ काफी लक्ष्य था । आप बड़े साहसी और व्यापारकुशल भी थे। आपने सबसे पहले संवत् १९४४ में बंगलोर में मेसर्स शम्भूमल गंगाराम के पार्टनरशिप में चार साल तक व्यवसाय किया । तदनंतर आपने बंगलोर कैण्ट के सूलाबाजार में सूरजमल गुलाबचन्द के नाम से एक स्वतन्त्र फर्म स्थापित की। आपका सम्वत् १९७९ में स्वर्गवास हुआ। आपके दो पुत्र हुए जिनके नाम कन्हैयालालजी और माणकचन्दजी हैं । कन्हैयालालजी के अमरचंदजी और लखमीचन्दजी नामक दो पुत्र तथा अमरचंदजी के भँवरलालजी नामक एक पुत्र है | माणकचंदजी के पुखराजजी तथा रिखवचंदजी नामक दो पुत्र और पुखराजजी के हरकचन्दजी नामक एक पुत्र हैं । कन्हैयालालजी, कन्हैयालाल, अमरचंद के नाम से तथा माणकचन्दजी, माणकचन्द पुखराज के नाम से कोलार गोल्ड फील्ड में और माणकचन्द रिखबचन्द के नाम से मैसूर में व्यवसाय करते हैं । गुलाबचन्दजी का जन्म संवत् १९३८ का है। आपके सुगनमलजी नामक एक पुत्र हैं जिनका जन्म सं० १९७० में हुआ। घेवरचंदजी का जन्म सं० १९४० में हुआ । आपने सबसे पहले सं० १९५५ में कोलार गोड फील्ड में एक फर्म स्थापित की । तदनन्तर सोने की खदान के पास कोलार गोल्ड फील्ड में तीन फर्मे और स्थापित की जो वर्तमान में भी बड़ी सफलता के साथ चल रही हैं। आपके तीन पुत्र हुए जिनके नाम बख्तावरमलजी, किशनलालजी तथा मोहनलालजी हैं। इनमें से बख्तावरमलजी के चम्पालालजी और पखालालजी नामक दो पुत्र हैं। सेठ प्रतापमलजी का जन्म संवत् १९४५ का है। आपका धर्मध्यान में अच्छा लक्ष्य है । आपके एक पुत्र हैं जिनका नाम भीकमचंदजी है । आपकी ओर से कोलार गोल्ड फील्ड में प्रतापमल भीकमचन्द के नाम से एक स्वतन्त्र दुकान है। 1 बोहरा सेठ श्रचलसिंहजी का परिवार, आगरा भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों में मारवाड़ी समाज के जो कतिपय शिक्षित, उन्नत विचारों के, जाति सुधारक, देश सेवक और समाज सुधारक व्यक्ति नजर आते हैं, उनमें से अचलसिंहजी का नाम पीछे नहीं रह सकता । ये बोहरा गौत्रीय सज्जन हैं। आपके पूर्व पुरुष सेठ सवाईरामजी थे। सेठ सवाईरामजी के कोई पुत्र न होने से उन्होंने श्री पीतमलजी चोरड़िया को दत्तक लिये । ५०६
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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