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________________ छल्लानी दुकान की। नाहटा दलपतजी के पुत्र नंदरामजी और बालारामजी हुए। इनमें बालारामजी, उदयचंदजी के नाम पर दत्तक गये। सेठ नंदरामजी ने इस दुकान के व्यापार तथा सम्मान को विशेष बढ़ाया, आपके पुत्र पन्नालालजी तथा बालारामजी के पुत्र हीरालालजी और नथमलजी हुए । इनमें नथमलजी पनालालजीके नाम पर दत्तक गये। सेठ हीरालालजी नाहटा प्रतिष्ठित सजन हैं । भापका जन्म संवत् १९५३ की सावण सुदी १२ को हुआ है। आपकी दुकान यहाँ के ओसवाल समाज में प्राचीन मानी जाती है। आपके पुत्र मोतीलालजी, कन्हैयालालजी व मोहनलालजी हुए, इनमें मोतीलालजी का शरीरान्त १९०६ में हो गया, अतः इनके नाम पर मोहनलालजी को दत्तक दिया है। नाहटा कन्हैयालालजी, नथमलजी के नाम पर दत्तक दिये गये हैं। इस परिवार में लेन देन, कृषि और साहुकारी कामकाज होता है। छल्लानी मेसर्स हीराचन्द पूनमचन्द छल्जानी सिकन्दराबाद इस खानदान के वंशज भोसवाल जाति के छल्लानी गौत्रीय सजन है। आप मन्दिर आम्नाय के उपासक हैं। आपका मूल निवास स्थान नागौर (मारवाड़) का है । इस फर्म की स्थापना सिकन्दराबाद में करीब ८०-९० वर्ष पूर्व हुई। सबसे पहले सेठ हीराचंदजी छल्लानी नागौर से यहाँ पर आये। शुरू में आपने यहाँ पर सर्विस की। उसके पश्चात् दो० ब० रामगोपालजी मालानी के साझे में आपने कपड़े का व्यापार प्रारम्भ किया। करीमनगर की दुकान भी आप ही के समय में खोली गई। सेठ हीराचन्दजी का स्वर्गवास संवत् १९७० के करीब हुआ । आपके पश्चात् आपके दत्तक पुत्र श्री० पूनमचन्दजो छल्लानी ने इस फर्म के कार्य को सम्हाला । आप बड़े योग्य और व्यापार-दूरदर्शी पुरुष थे। आपके हाथों से इस फर्म के व्यवसाय, सम्मान एवम् प्रतिष्ठा में बहुत वृद्धि हुई। आपने वरंगल, पेद्दापल्ली तथा मंथनी में दुकानें स्थापित कर रुई और एरंडी का व्यापार शुरू किया। पेद्दापल्लो में आपने नीनिंग फेक्टरी और राइस मिल भी खोली। व्यवसायिक कार्यों के अतिरिक्त धार्मिक कार्यों में भी आपके हाथ से एक बड़ा स्मरणीय कार्य हुआ। हैदराबाद के समीप कुळपाकजी तीर्थ के श्वेताम्बर जैन मन्दिर के जीर्णोदार में आपने बहुत परिश्रम उठाया। एवम् अपनी ओर से भी आपने इस कार्य में बहुत सहायता दी। उक्त मन्दिर की इमारत आदि बनवाने में हैदराबाद के चार प्रतिष्ठित सजनों में आपने भी प्रधान रूप से कार्य किया था। आपका स्वर्गवास सम्वत् १९७४ के भादों वदी ८ को हुमा। आपके यहाँ श्री लक्ष्मीचंदजी छल्लानी संवत् १९७२ में दत्तकलाये गये। वर्तमान में इस फर्म के मालिक सेठ लक्ष्मीचन्दजी छल्लानी है। आपका जन्म संवत् १९६४ में हुआ। आप बढ़े शिक्षित, शान्तप्रकृति और विनयशील नवयुवक हैं । इस छोटी उम्र में ही फर्म के व्यापार १.४ ५०५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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