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________________ नाहटा सेठ बुधमलजी ने अपने भाइयों से अलग होकर संवत् १९५४ में बुधमक नथमलके नाम से अपना फर्म स्थापित किया। इस पर कपड़े और बैकिग का काम होता था आपके हाथों से इस फर्म की बहुत उन्नति हुई। आप बड़े योग्य और व्यापार कुशल सजन थे। आपका स्वर्गवास सं० १९४६ में हुभा । आपके नथमलजी उदयचन्दजी और जयचन्दजी नामक दीन पुत्र हुए। इनमें से उदयचन्दजी अपने काका चाँदमलजी के यहाँ दत्तक चले गये। . नथमलजी तथा जयचन्दजी दोनों भाईपहले 'बुधमल नथमल' के नाम से शामिलात में कारवार करते रहे। पश्चात् सं० १९८२ में अलग हो गये और अलग २ नाम से अपना व्यापार करने लगे। नथमलजी ने अपने शामलात वाले फर्म की बहुत तरक्की की। आपका स्थानीय पंच-पंचायती में बहुत नाम था। आजकल आप देश ही में विशेष रूप से रहते हैं। आपके पुत्र नेमीचन्दजी फर्म का र्य संचालन करते हैं इस समय आपका फर्म 'नेमीचन्द धर्मचन्द' के नाम से . पोयगीजचर्च स्टीट में चल रहा है। नेमीचन्दजी बड़े सजन, मिलनसार एवं खुश मिजाज व्यक्ति हैं। आपके पुत्र का नाम धर्मचन्दजी है। नथमलजी के छोटे पुत्र मानमलजी हैं। आपने सं० १९८४ में अपना अलग फर्म 'बुधमक मानमल' के नाम से स्थापित किया था। __जयचन्दलालजी-आप पहले अपने बड़े भाई नथमलजी के साथ शामलात वाले फर्म में व्यापार करते रहे। पश्चात् जब भाप अलग हुए तब 'बुधम जयचन्दलाल' के नाम से व्यापार करने लगे जो अब भी हो रहा है। आप भी अच्छे मिलनसार एवं सज्जन व्यक्ति थे। भापका ध्यान धार्मिकता की तरफ विशेष रहता था। आपका स्वर्गवास अभी हाल में ही सं० १९९० में हो गया। आपके चम्पालालजी चन्दनमलजी और मानिकचन्दजी नामक सीन पुत्र हैं। चम्पालालजी और चन्दनमलजी तो अपने पिता के स्थापित किए फर्म का कार्य संचालन करते हैं और मानिकचन्दजी अभी बालक हैं । आपके फर्म में इस समय कपड़े व पाट का व्यापार होता है। चम्पालालजी-आप बड़े उत्साही, मिलनसार एवं होशियार व्यक्ति हैं। आपने होमियोपैथिक चिकित्सा-विज्ञान का अच्छा अभ्यास किया है और बाकायदा अध्ययन कर एच. एम. बी. पास किया है। आप रोगियों का इलाज बड़ी तत्परता व प्रेम से बिना मूल्य लिए करते हैं। सेठ चाँदमलजीने भी पूर्वोक्त फर्म से अलग होकर अपना स्वतंत्र कपड़े का व्यापार 'चाँदमल उदयचन्द' के नाम से शुरू किया था। आपका स्वर्गवास होने पर आपके दत्तक पुत्र उदयचन्दजी ने उक्त फर्म की अच्छी उन्नति की। आपके समय में कपड़े व ब्याज का काम होता रहा। आपका छोटी उमर में ही स्वर्गवास हो गयो। आपके तीन पुत्र हुए जिनके नाम क्रमशः सैंसकरणजी कन्हैयालालजी और मूखचन्दजी हैं। आप तीनों भाई सम्मिलित रूप से इस समय नं. ११३ मनोहरदास के कटरे में कपड़े का व्यापार करते हैं। आपकी वर्तमान फर्म का नाम-'उदयचन्द बच्छराज' है। आप शिष्ट, सभ्य और विनम्र स्वभाव के एवं मिलनसार । संसकरनजी सामाजिकता और पंच-पंचायती में विशेष भाग लेते हैं। आपके पुत्र का नाम बच्छराजजी और मूलचन्दजी के पुत्र का नाम मोहनलालजी है। आप सब लोग (नाहटा परिवार) तेरापंथी श्वेताम्बर जैन धर्म के माननेवाले हैं। ५०३
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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