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________________ बांठिया रहा। उन्होंने भापको कई प्रशंसा पत्र प्रदान किये हैं। भापको पिसीका ठिकाने से बाज जागीर मिली हो तथा प्रतापगढ़ स्टेट से पेशन मिल रही है। इस समय-मापसीतामढमैं शांतिलाम कर रहे हैं। आपका धार्मिक जीवन भी अच्छा है। उधर ओसवाल समाज में भी भाप प्रतिक्षित और सम्माननीय व्यक्ति माने जाते हैं। आपके जसवंतसिंहजी नामक एक पुत्र हैं। आप इस समय सीतामक स्टेट में नायव दीवान है। आपकी पढ़ाई B. A. तक हुई है। माप शेरसिंहजी, सवाईसिंहजी, समरसिंहजी भीर विमलसिंहजी नामक चार पुत्र हैं। भाप सब लोग स्थानकवासी संप्रदाय के भनुपायी हैं। सेठ मागचन्दजी बांठिया का परिवार, जयपुर इस परिवार के पूर्वजों का मूल निवास स्थान बीकानेर था। वहां से चुरू होते हुए करीब ... वर्ष पूर्व सेठ भागचन्दजी जयपुर माचे। यहां आकर आपने जवाहरात का व्यापार प्रारम्भ किया। इसमें मापको मच्छीसमकता रही। यहां की स्टेट में भी आपका बहुत सम्मन था। भापको यहां सेठ की पदवी मिली हुई थी। भापका स्वर्गवास होगया । आपके छोगमछजी और बींजराजजी नामक दो पुत्र हुए। सेठ छोगमलजी-आप बड़े प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति थे। भाप जीवन भर तक सरकारी नौकरी करते रहे। आप उस समय में जयपुर स्टेट के कस्टम-विभाग के सबसे बड़े भाफिसर थे। आपके यहां सूरजमलजी दत्तक भाये। भापका भी स्वर्गवास होगया । इस समय मापके दत्तक पुत्र मोतीलालनी विद्यमान हैं और छोगमल सूरजमल के नाम से जयपुर ही में लेन देन का व्यापार करते हैं। आपके पुत्र का नाम पनालालजी हैं। सेठ बांजराजजी-बाप व्यापार के निमित्त कलकत्ता गये और व्याज का काम करने लगे। आप संवत् १९५० में बनाए बैंक की सिराजगंज और जलपाईगुड़ी नामक स्थानों के खजांची नियुक्त हुए । भाप का स्वर्गवास होगया । भापके जोसंबरमलजी, सुरजमलजी, कस्तूरचन्दजी, सौभागमलजी और चांदमलनी नामक पाँच पुत्र हुए। इनमें से जोरावरमलजी का स्वर्गवास हो गया। उनके अमरचन्दजी और उत्तमचन्दजी नामक दो पुत्र हैं। सूरजमलजी दत्तक चले गये। कस्तूरचन्दजी जयपुर में मौजूद है। सौभागमलजी का तथा आपके पुत्र हीरालालजी दोनों का स्वर्गवास होगया। सेठ चांदमलजी-आपके समय में यह फर्म पटना, चटगांव, अकिवाव भादि स्थानों पर इम्पीरियल बैंक की खजांची नियुक्त हुई। इसके अतिरिक मापने बांठिया एण्ड कम्पनी के नाम से विलायत में भी चांदी सोने का काम करने के लिये फर्म खोली । इस समय भापका म्यापार कलकत्ता, जलपाईगही और चटगांव में हो रहा है। यह फर्म चाय बागान की मैनेजिंग एजन्टहै। चटगाँव में भापकी जमींदारी भी है। इस समय आपकी फर्म पर बींजराज जोरावरमकके नाम से व्यापार होता है। अन्यत्र बुलियन कम्पनी लि.के नाम से भाप व्यापार करते हैं। भापके पूनमचन्दजी और पदमचन्दजी नामक पुत्र हैं। इनमें से बड़े व्यापार में सहयोग लेते हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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