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________________ आसवाल जाति का इतिहास बदनमल के नाम से फर्म स्थापित की। कुछ समय पश्चात् आपके दूसरे पुत्र बदनमलजी भी इसमें शामिल हो गये । आपके व्यवसाय में उतरते ही फर्म की दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होने लगी। संबत १९७४ में बिरदी चन्दजी का स्वर्गवास हो गया। आप बड़े धार्मिक प्रवृति के पुरुष थे। आपका समाज में बड़ा भादर, सत्कार था। आपके स्वर्गवास के १० वर्ष पश्चात् आपके दोनों पुत्र अलग २ हो गये । संवत् १९८५ में किशनमलजी का स्वर्गवास हो गया। - इस समय किशनमलजी के पुत्र नथमलजी, मेससं विरदीचंद नथमल के नाम से मनोहरदास कटला में कपड़े का व्यापार करते हैं । आप सजन पुरुष हैं। सेठ बदनमलजी भी मनोहरदास के कटले में विरदीचन्द बदनमल के नाम से कपड़े का व्यापार करते हैं । भापकी प्रकृति भी विशेष कर साधु सेवा और धर्मध्यान की ओर रहती है। बीकानेर की ओसवाल समाज में आप अच्छे प्रतिष्ठित व्यक्ति माने जाते हैं। म्यापार में तो आपने बहुत ज्यादा उन्नति की है। प्रतापगढ़ का बांठिया परिवार इस परिवार के प्रथम पुरुष सेठ खूबचन्दजी और सेठ सबलसिंहजी दोनों भाई बीकानेर से प्रताप गढ़ नामक स्थान पर आये। यहां आकर खुवचंदजी तत्कालीन फर्म मेसर्स गणेशदास किशनाजी के यहाँ मुनीम हो गये । आपका स्वर्गवास हो जाने पर सेठ सवलसिंहजी ने यहाँ की महारानी (राजा दलपतसिंहजी की पत्नी के साझे में वैकिंग का व्यापार प्रारम्भ किया। इसमें आपको अच्छी सफलता रही। इसी कारण से तत्कालीन महाराजा साहब के और आपके बीच में बहत घनिष्ठता होगई। आप बड़े कर्मवीर चतर और वीर व्यक्ति थे। महाराजा आपका अच्छा सम्मान करते थे। कहा जाता है कि जब २ महाराजा देवलिया रहते थे तब २ प्रतापगढ़ का सारा शासन भार आप पर और भोजराजजी दागढ़िया तथा भापाजी पंड़ित पर छोड़ जाते थे। संवत् १९१४ के गदर के समय में आपने अपनी बुद्धिमानी और होशियारी से बागियों से राज्य की रक्षा की थी, जिससे महाराजा बहुत खुश हुए और इसके उपलक्ष्य में आपको एक प्रशंसा सूचक परवाना इनायत किया । भापका स्वर्गवास होगया । आपके सौभागमलजी बिरदीचन्दजी नामक दो पुत्र हुए । सेठ खूबचन्दजी के पुत्र का नाम लखमीचन्दजी था। सेठ लखमीचंदजो के पुत्र गुमानमलजी हुए। आपके यहाँ दानमलजी दत्तक भाये। दानमलजी के धरमचन्दजी नामक पुत्र हैं। सेठ सौभागमलजी के वंश में आपके पौत्र मिश्रीमलजी और रूपचन्दजी हैं। रूपचन्दजी के पुत्र का नाम कंचनमसजी हैं। आप सब लोग प्रतापगढ़ में निवास करते हैं। सेठ बिरदीचन्दजी अपने जीवनभर तक स्टेट के इजारे का काम करते रहे। आपके सुजानमलजी और चन्दनमलजी नामक दो पुत्र हुए । इनमें चन्दनमलजी का स्वर्गवास हो गया है। बांठिया मुंशी सुजानमखजी-आप बड़े योग्य, प्रतिभा सम्पन्न और कारगुजार व्यक्ति हैं। भापका अध्ययन अंग्रेजी और फारसी में हुआ । भाप उन व्यक्तियों में से हैं जिन्होंने अपने पैरों पर खड़े होकर आशातीत उन्नति की है। प्रारंभ में भाप साधारण काम पर नौकर हुए और क्रमशः अपनी योग्यता, बुद्धिमानी और होशियारी से कई जगह कामदार और दीवान रहे। आपका तत्कालीन पोलिटिकल आफिसरों से बहुत मेल ४९९
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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