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________________ श्रीसवाल जाति का इतिहास समय पश्चात् आप अपने भाई विजराजजी के पास दिनाजपुर चले गये । दैवयोग से इसी समय दिनानपुर में चाड़वास वाले चोरड़ियों की मनिहारी की दुकान में आग लग गई, और उसका जला हुआ गोदाम आपने बहुत सस्ते दामों में खरीद लिया । इस व्यापार में आपको बहुत बड़ा लाभ हुआ और आपकी स्थिति बहुत अच्छी जम गई। इस प्रकार अपने परिवार की स्थिति जमाकर सेठ चौथमलजी १९७४ में और सेठ बींजराजजी १९६८ में स्वर्गवासी हुए। आप दोनों भाई वड़े व्यापार कुशल और धार्मिक व्यक्ति थे । सेठ चौथमलजी के हीरालालजी, लादूरामजी, कुन्दनमलजी एवम् मानिकचन्दजी नामक चार पुत्र हुए। इनमें हीरालालजी बाल्यावस्था में ही स्वर्गवासी होगये शेष तीनों भाई इस समय व्यापार का संचालन कर रहे हैं। कुन्दनमलजी और माणकचन्दजी बड़े देशभक्त सज्जन हैं । सेठ प्रेमचंद धरमचंद सेठी, मुलतान ( पंजाब ) . इस कुटुम्ब का मूल निवास बीकानेर है । वहाँ से १५० साल पूर्व सेठ आत्मारामजी सेठी मुलतान ( पंजाब ) गये और वहाँ जवाहरात का व्यापार शुरू किया। आपके पुत्र प्रेमचन्दजी सेठी के समय में मुलतान दीवान के महलों में जवाहरात की चोरी होगई, और उसका झूठा इलजाम प्रेमचंदजी पर लगा, इससे इन्होंने जवाहरात का व्यापार बन्द करके हाथी दांत का धन्धा शुरू किया । उसके पश्चात् आपने कपड़े का कारवार भी आरम्भ किया । इस व्यापार में आपने विशेष सम्पत्ति उपार्जित की । आपके धरमचन्दजी तथा नथमलजी नामक २ पुत्र हुए । सेठ धरमचंद सेठी का परिवार - सेठ धरमचन्दजी के पूनमचन्दजी तथा बलदेवप्रसादजी नामक दो पुत्र हुए। इन दोनों भाइयों की धार्मिक कामों की ओर बड़ी रुचि रही है । इन दोनों भाइयों ने संवत् १९७५ में मुलतान में एक विशाल जैन मन्दिर बनवाया। सेठी पूनमचन्दजी के पुत्र वासुरामजी, तिलोकचन्दजी, सुगनचन्दजी तथा वंशीलालजी हैं । इन बंधुओं के यहाँ मुलतान में " धरमचन्द सुगनचन्द” के नाम से व्यापार होता है। सेठी बलदेवप्रसादजी के पुत्र तोलारामजी, कालूराम जी तथा खुशालचन्दजी हुए । इनमें खुशालचन्दजी की फर्म करांची में व्यापार करती है। सेठी तोलारामजी ने संवत् १९८० में बम्बई में अपनी दुकान की शाखा तोलाराम भँवरलाल के नाम से खोली । तथा १९८१ में आपका स्वर्गवास हुआ । आपके पुत्र माणकचन्दजी भँवरलालजी तथा संपतलालजी विद्यमान हैं। आप तीनों नवयुवक समझदार व्यक्ति हैं । माणकचन्दजी का जन्म १९६२ में तथा भँवरीलालजी का १९६९ में हुआ। आपके यहाँ मुलतान में प्रेमचन्द धरमचन्द के नाम से कपड़े का व्यापार होता है । तथा यह दुकान बड़ी मातवर मानी जाती है । सेठ नथमलजी सेठी काँ परिवार-सेठी नथमलजी की वय ६२ साल की है । आपके पुत्र उत्तमचन्दजी, ठाकरदासजी तथा टीकमदासजी मुलतान में प्रेमचन्द नथमल के नाम से सराफी व्यापार करते हैं । सेठ नथमल वख्तावरचन्द सेठी, नागपूर इस खानदान का मूल निवासस्थान बीकानेर है । आप ओसवाल जाति के सेठी गौत्रीय १८५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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