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________________ औसवात जाति का इतिहास .... गोलेछा हरदत्तजी का खानदान, फलोदी इस खानदान का खास निवास फलोदी है। सेठ हरदत्तजी गोलेछा के ५ पुत्र हुए, कस्तूरचन्दजी, निहाल चन्दजी, बनेचंदजी, कपूरचंदजी, तथा खूबचंदजी । इनमें से कपूरचंदजी के कोई संतान नहीं हुई। गोलेछा कस्तूरचन्दजी और निहालचन्दजी फलोदी से हैदराबाद (दक्षिण) गये, तथा वहां चादी सोना गिरवी और जवाहरात का कारबार आरंभ किया। कस्तूरमलजी का स्वर्गवास संवत् १९३५ में और निहालचन्दजी का संवत् १९२२ में हुआ। संवत् १९२२ में इन दोनों भ्राताओं का कारबार अलग २ हो गया। गोलेछा कस्तूरचन्दजी का परिवार-गोलेछा कस्तूरचन्दजी के हरकचंदजी तथा छोटमलजी नामक २ पुत्र हुए। इनके गोलेछा छोटमलजी के हीरालालजी, सुजानमलजी, विशनचंदजी, इस्तीमलजी एवम् लक्ष्मीलालजी नामक पाँच पुत्र हुए । गोलेछा सुजानमलजी का स्वर्गवास सन्वत् १९३८ में हुमा । भापके पुत्र गोलेला सोभामलजी वर्तमान हैं। गोलेछा सोभागमलजी-आपका जन्म संवत् १९३१ में हुआ । संवत् १९५३ से आपने फलौदी के सार्वजनिक और सामाजिक कामों में सहयोग देना आरम्भ किया। आप बड़े विचारवान, हिम्मतवर और विरोधों की परवाह न कर मुस्तैदी से काम करने वाले व्यक्ति हैं। सम्वत् १९६३ में आपने फलोदी में जैन श्वेताम्बर मित्र मण्डल नाम की संस्था भी कायम की थी। सन् १९१५ से ३२ तक आप स्थानीय म्युनिसिपेलिटी के लगातार मेम्बर रहे। आपने फलौदी में, रेल, तार स्कूल, म्युनिसिपेलिटी आदि के स्थापन होने में उद्योग किया। इस समय आप स्थानीय पांजरापोल व सिंह सभा के ज्वाइण्ट सेक्रेटरी हैं, आपके दत्तक पुत्र भंवरमलजी ओसियां बोर्डिङ्ग में मैट्रिक का अध्ययन कर रहे हैं। गोलेछा निहालचन्दजी पूनमचन्दजी का परिवार-सं० १९२२ में सेठ निहालचन्दजी के पुत्र पूनमचन्दजी अपना स्वतंत्र कार बार करने लगे। गोलेछा पूनमचंदजी के समय में धंधे को विशेष उन्नति मिली, इनका शरीरावसान संवत् १९३७ में हुआ । इनके पुत्र फूलचन्दजी गोलेछा हुए। गोलेछा फूल चन्दजी-इनका जन्म संवत् १९२५ की कातिक वदी १० को हुआ । इन्होंने व्यापार की उन्नति के साथ र बहुत बड़ी २ रकमें धार्मिक कार्यों और यात्राओं के अर्थ लगाकर अपनी मान व प्रतिष्ठा की विशेष वृद्धि की। संवत् १९४९ तथा ५८ में आपने जेसलमेर तथा सिद्धाचलजी के संघ में १. हजार रुपये खरच किये इसी तरह ५ हजार रुपया समोण सरण को रचना में लगाये। सालों तक सिद्धा. चलजी की भोली का आराधन किया। इसी तरह आपने फलोदी के रानीसर तालाब के पश्चिमी हिस्से का घाट बनवाया, फलोदी पांजरा पोल, ओशियाँ जीर्णोद्धार, कुलपाक तीर्थ ( हैदराबाद ) के जीर्णोद्धार, और वर्धमान जैन बोडिंग हाउस के स्थापन में बड़ी २ मददें दी। इसी तरह अनेकों धार्मिक कामों में आपने लग
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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