SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1035
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गोबछा सेठ अमोलक चन्दजी गोलेछा-अपका जन्म संवत् १९५९ में हुमा । आपकी दुकाने "खुशालचन्द भमोलकचन्द" के नाम से पनरोटी, तिरपापल्लूर, गुडलूर, कुणजीवादी तथा हैदराबाद के तिरमलगिरी नामक स्थान में हैं । आप बड़े सजन व्यक्ति हैं। सेठ धरमचन्दजी गोलेछा-अपका जन्म संवत् १९५९ में हुमा । भाप बड़े सजन तथा शिक्षाप्रेमी पुरुष हैं। आपकी दुकानें टिंडिवरम्, तिरिपापल्लूर तथा पदुमालियम् में हैं। इन दुकानों पर खुशालचन्द धरमचन्द के नाम से बैंकिंग कारबार होता है। आपने २० हजार रुपयों की रकम “सेठ धर्मचन्द गोलेछा साधारण फण्ड" के नाम से धर्मार्थ निकाली है, इस रकम का उपयोग साधु साध्वी, यात्रा, विद्यादान आदि कार्यों में खर्च होता है। इस फण्ड की तरफ से एक गौशाला, टिडिवरम् में बनवाई गई है। सेठ पन्नालालजी गोलेछा का स्वर्गवास संवत् १९८४ में हुआ । आपके पुत्र उदयराजजी, सोहनलालजी तथा अमरचन्दजी हैं। उदयराजजी के पुत्र गुलाबचन्दजी तथा सोहनलालजी के सोभागमलनी हैं। सेठ लखमीचन्दजी गोलेका का परिवार-सेठ लखमीचन्दजी ने अपने नाम पर अपने भतीजे बींजराजजी को दत्तक लिया। आप दोनों सजन देश से लगभग संवत् १९०० में नागपुर आये । तथा यहाँ सर्विस की । आपकी होशियारी से प्रसन्न होकर नागपुर दुकान के मालिकों ने इन पिता पुत्रों के जिम्मे एक तोफखाने का बेक्किग व्यापार सोंपा, तथा पूँजी की सहायता दी । फलतः इन बंधुओं ने सिकंदराबाद तथा बलारी में दुकानें खोली। तथा संवत् १९२७ में लखमीचन्द बीजराज के नाम से बंगलोर में भी दुकान की गई। सेठ बींजराजजी गोलेछा ने अपने मृत्यु के पूर्व एक वख्शिस नामा किया। जिसमें अपनी पत्नी को ५० हजार रुपया और अपने भतीजे खुशालचन्दजी को २३ हजार की रकम दी। इस प्रकार उदारता पूर्वक रकम विभाजित कर गोलेछा वींजरामजी का संवत् १९५२ में स्वर्गवास हुआ। आपके नाम पर मुन्नीलालजी के मझले पुत्र फतेचन्दजी दत्तक आये । आपकी वीरचन्द फतेचन्द के नाम से बंगलोर में प्रतिष्ठित फर्म थी। आपका स्वर्गवास सवत् १९५९ में ३८ साल की वय में हुआ। आपके स्मरणार्य बंगलोर में एक छतरी बन. वाई गई है। इन्होंने अपने जीवन में कई प्रतिष्ठा पूर्ण कार्य किये । भापके सालमचन्दजी तथा पेमराजजी नामक २ पुत्र हुए। सेठ सालमचन्दजी-अपका जन्म संवत् १९४४ में हुआ।आपका ब्यापार संवत् १९८४ तक बंगलोर में रहा। इस समय आप गुडलर न्यू टाडन में निवास करते हैं। भापके छोटे भाई पेमराजजी की मृत्यु केवल १९ साल की आयु में १९६७ में हुई। इसी साल इन बंधुओं का कारवार अलग २ हुआ। इस समय पेमराजजी के पुत्र नेमीचन्दजी हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy