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________________ झाबक बंदनमलजी-बदनमलजी का जन्म 1९11 में और मृत्यु १९५६ में हुई। इनके लक्ष्मीलालजी खूणकरणजी और मानमलजी नामक तीन पुत्र हुए । इनमें लक्ष्मीलालजी का स्वर्गवास हो चुका है। नथमलजी-आपका जन्म सम्बत् १९१५ में तथा मृत्यु सं० १९४४ में हुई । आप बड़े धर्मात्मा थे आपका देहान्त समाधि मरण से हुआ। इनके बच्छराजजी और फूलचन्दजी नामक दो पुत्र हुए, इनमें से बच्छराजजी, बाघमलजी के दत्तक चले गये । आपकी माता बड़ी धर्मात्मा थीं इन्होंने संवत् १९४५ से १९८२ तक लगातार इकोतरे उपवास किये थे। तथा ३७ वर्ष तक दूध और शक्कर का भी त्याग किया था। आपने श्री शीतलनाथजी के मन्दिर में श्री पार्श्वनाथ स्वामी की एक प्रतिमा स्थापित कर वाई थी। इसी प्रकार श्री मेमीचन्दजी की माता ने भी उक्त देरासर में एक महावीर स्वामी की स्वर्ण प्रतिमा प्रतिष्ठित की थी। झाबक फूलचन्दजी-आपका जन्म संवत् १९३७ में दुभा । आप बड़े बुद्धिमान और प्रभावशाली व्यक्ति हैं। फलौदी, हैदराबाद, मद्रास, गोडवाड़ आदि के भोसवाल समाज में आपका बड़ा प्रभाव है इतिहास, ज्योतिष, काव्य, संस्कृत ग्रंथ, आगम, पुराण इत्यादि विषयों में भापका अच्छा ज्ञान है। जाति बिरादरी के सगड़ों को निपटाने में आपको बढा यश प्राप्त है। कई बड़े २ गम्भीर झगड़ों के अवसर पर दोनों पार्टियाँ भापको समदर्शी समझकर अपना पंच मुकर्रर कर देती है और ऐसे झगड़ों को आप बड़ी बुद्धिमानी से निपटा देते हैं। संवत् १९७९ में बीकानेर के बाईस सम्प्रदाय और मन्दिर आम्नाय के झगड़े को आपने कुशलतापूर्वक निपटाया। इसी प्रकार फलौदी, खीचन्द, हैदराबाद, मद्रास आदि की धड़े बंदियों को भी आपने कई दफे मिटाया । आप फलौदी के ओसवाल नवयुवक मण्डल के प्रेसिडन्ट हैं । संवत् १९७३ में जब फलौदी में म्युनिसिपेल्टी कायम हुई तब आपने गरीब आदमियों की तरफ का सब टैक्स अपने पास से भर दिया था। इससे जनता आपसे बड़ी खुश हुई थी। इस समय आपको मान पत्र भी मिला था। इस प्रकार प्रत्येक शुभ कार्य में आपका बड़ा भाग रहता है । संवत् १९६८ में आपको बीकानेर के सेठ चांदमलजी ढहा ने अपना चीफ एजेण्ट बनाया। शुरू में आप उनकी बीकानेर और बेगूं दुकान पर और फिर हैदराबाद दुकान पर रहे। आपने बढ़ो ईमानदारी और चतुराई से इस कार्य को किया । संवत् १९८५ में आप वहाँ से अलग हो गये। सुगनमलजी-इनका जन्म संवत् १९१८ और मृत्यु सं० १९.२ में जोधपुर में हुई थी, यह बुद्धिमान् सुशील तथा साहुकारी लाइन के अच्छे जानकार थे, इनके ३ पुत्र हुए। अनराजजी-इनका जन्म १९४४ में मृत्यु १९७५ में हुई । इनके एक पुत्र दीपचन्दजी है। उनकी उन्न १५ साल की है। दूसरे गुलराजजी, का १७ वर्ष की उम्र में ही देहान्त हो गया। साबक सोहनराजजी,
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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