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________________ श्रीसवाल जाति का इतिहास दुकान का कारोबार करते हैं । सुन्दरलालजी का जन्म सम्वत् १९६६ में हुआ । आप भी दुकान का कारोबार करते हैं। इस दुकान पर पश्मीने और आढ़त का काम करते हैं। तार का पता "बीकानेरी" है । सेठ पदमचन्द सम्पतलाल कोचर, फलौदी इस परिवार के पूर्वजों का मूल निवासस्थान फलौदी ( मारवाड़ ) का है। आप श्री जैन श्वेताम्बर मंदिर आम्नाय को मानने वाले सज्जन हैं । इस कुटुम्ब में सब से प्रथम सेठ जीवणचन्द्रजी हुए। सेठ जीवनचन्दजी के पश्चात् क्रमशः उत्तमचन्दजी, मलकचन्दजी, मायाचन्दजी, सिरदारमलजी तथा कुन्दनमलजी नामक पुत्र हुए। सेठ कुन्दनमलजी के सेठ पदमचंदजी नामक पुत्र हुए । सेठ परमचन्दजी का जन्म संवत् १९३३ में हुआ । आप बड़े व्यापार कुशल, बड़े ईमानदारधार्मिक तथा समझदार सज्जन हैं। शुरू २ में कई वर्षों तक आप बरार में रहे। पश्चात् संवत् १९६० में अहमदाबाद में मेसर्स सरदारमल पाबूदान गोलेछा फलोदी वालों के पार्टनर शिप में कपड़े की कमीज्ञान एजन्सी का काम प्रारम्भ किया । अहमदाबाद में आपकी दुकान प्रतिष्टित मानी जाती है। आप उदार धार्मिक और सदाचारी सज्जन हैं। जो ओसवाल भाई अहमदाबाद आते हैं। उनकी अच्छी खातिर करते हैं। और आपने हजारों रुपये धार्मिक कामों में खर्च किये हैं तथा तीर्थयात्रा प्रायः हर साल किया करते हैं । आपकी दुकान की अहमदाबाद के मिल आदि व्यापारिक क्षेत्रों में अच्छी ख्याति है । आपके सम्पतलालजी नामक एक पुत्र हैं । आप व्यापारिक कार्यों में बहुत होशियार हैं। इनके भी तीन पुत्र हैं । सेठ उदयचन्द गुलाबचंद कोचर का परिवार, कटंगी इस खानदान का मूल निवसस्थान नागौर ( मारवाड़ ) है । इस परिवार में कोचर उदयचंदजी हुए। आप देश से व्यापार के निमित्त कटंगी गये और वहाँ पर कपड़ा सोना, चांदी, आदि का व्यवसाय शुरू किया। आपका सं० १९७४ में स्वर्गवास हुआ। आपके गुलाबचंदजी, नेमीचन्दजी व भभूतभलजी नामक तीन पुत्र हुए। इनमें गुलाबचन्दजी सं० १९८४ में तथा भभूतमलजी सं० १९७४ में गुजरे । वर्तमान में इस खानदान में नेमीचंदजी व गुलाबचंदजी के पुत्र फूलचंदजी, लूनकरणजी तथा खुशालचंदजी विद्यमान हैं। आपकी कटंगी व बालाघाट की फर्मों पर कपड़ा व साहुकारी का काम होता है। बालाघाट की दुकान पर फूलचंदजी काम देखते हैं । सेठ गुलराजजी फौजराजजी कानुगा का खानदान, फलौदी इस कुटुम्ब का मूल निवास स्थान फलौदी (मारवाड़) है। इस परिवार में सेठ सूरजमलजी हुए। आपके अनराजजी, गुलराजजी, सकहराजजी तथा फौजराजजी नामक चार पुत्र हुए। इनमें अन ४५८
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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