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________________ पृछाक [ १८ ] अध्याय प्रधानविषय (५५-५६ )। जो गृहस्थी व्यर्थ (तु कालाभिगमन के अतिरिक्त ) वीर्य नष्ट करे उसका प्रायश्चित्त (५७) । १२ प्रायश्चित्त वर्णनम् । ६८० छोटे-छोटे प्रायश्चित्त-सेतुबन्ध में जाना, गोकुल में जाकर अपने पापों के वर्णन करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। सेतुबंध में स्नान का माहात्म्य तथा उससे पाप नष्ट हो जाने का वर्णन आया है। इसी प्रकार १०० गाय दान करने से ब्रह्महत्या दूर हो जाती है। मद्यप ब्राह्मण गङ्गाजी में स्नान कर कभी न पीने का सङ्कल्प करे। ऐसी-ऐसी शुद्धियों का वर्णन तथा इनसे पाप दूर करने का विधान आया है (५८-७४) । बृहत् पराशरस्मृति के प्रधान विषय इसमें १२ अध्याय है। प्रथम अध्याय में पराशर संहिता के क्रमानुसार ही विभिन्न अध्यायों में वर्णित आचार प्रायश्चित्त आदि विषयों का वर्णन किया है। १ वर्णाश्रमधर्म वर्णनम् । ६८२ प्रथमाध्याय में पराशरजी के पास वर्णाश्रम धर्म कलियुग में किस प्रकार से होता है, इस प्रश्न को लेकर व्यास
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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