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________________ जी पाण्डेय काव्य व्याकरण तीर्थ महोदयका भी अतिशय कृतज्ञ हूं और धन्यवाद देता हूं जिन्होंने अपना अमूल्य समय देकरतथा अलीम परिश्रम उठाकर संशोधनादिके द्वारा इस पुस्त कको सर्वाङ्ग सुन्दर बनानेमें योग दान दिया है। पुनः सर्वतो भावेन श्रीसंघ पटनाको कोटिशः धन्यवाद देता हूं, जिसने इस पुस्तकके प्रकाशित करने में अपना द्रव्य सदुपयोगमें व्यय करके पुण्योपार्जन किया है जो कि अन्यस्थानीय संघोंके अवश्यानुकरणीय है । मैं सेठ दोपवन्दजो श्रावक तथा श्री बाबू बुधसिंहजो जौहरीको अनेक बार धन्यवाद देता हू और उनका विशेष आभारी हुइन महानुभावोंने ही इस पुस्तकके निर्माणमें प्रोत्साहन तथा प्रकाशनमें पूर्ण यत्न किया है बल्कि इनके ही विशेष आग्रहसे मैं इस पुस्तक लिखने में प्रयत्न शील हुआ हूं। इसके अतिरिक्त मैं उन सब महानुभावोंको हार्दिक धन्यवाद देता है जिनके द्वारा इस पुस्तकके लिखनेमें मुझे किसी भी प्रकारको सहायता प्राप्त हुई है। मैंने अपनो यथा बुद्धि पटनेके जानने योग्य प्राचीन तथा नवोन ऐतिहासिक वृत्तान्त इस पुस्तकमें प्रायः संक्षेपमें अवश्य लिख दिये हैं तथापि विषयके कठिन होने के कारण सम्भव है कि स्थल विशेषमें त्रुटी रह गयी होगी तथा पूर्ण सावधानीसे संशोधन करनेपर भी दृष्टि दोषसे कहीं कहीं भूल रह गयी होंगी उन्हें पाठक क्षमा करेंगे एवं त्रुटियोंकी सूचना दे अनुगृहीत करेंगे जिससे द्वितीय संस्करणमें उनको सुधार दिया जाय। यदि सजन गण इस पुस्तकको भी पहिली पुस्तकोंके समान अपनायेंगे तो आशा है कि अप्रित वर्ष में अन्य नवीन पुस्तक लेकर समाजके सम्मुख डपस्थित होऊगा। सूर्यमल यति
SR No.032643
Book TitlePatliputra Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherShree Sangh Patna
Publication Year
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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