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________________ [ २४ ] अयोध्या का इतिहास। श्राअयोध्या को ऐतिहासिक दृष्टि से वर्णन । श्रीमयोध्याजीका इतिहास (सूर्यवंशी इक्ष्वाकु कुल) ___श्रीअयोध्याजी मृत्युलोककी अमरापुरीथी जिसको स्वायं भुवमनु-मानवेन्द्रण के लिये इन्द्रमहाराज के हुक्म से कुबेर जी ने १२ योजन चौड़ी- योजन लम्बी बनवाया था उत्तर सरहद श्रावस्ती, जहांगंडकी राप्ती, सिरगी का प्रवाह था मध्य में त्रिवेणी, शारदा, सरयू, घाघरा, दक्षिण सरहद में गोमती कौशिकी के पास पुरीमताल पर त्रिवेणी संगम, गङ्गा, यमुना, सरस्वती था, पूर्व में गोरखपुर (कसिया) नगरी पश्चिमसरहद में लखनऊ और कपिलापुरी तक था, जिसमें बनारस श्री अयोध्याजी का स्मशान घाट रहा इतनी बड़ी नगरी के जो सृष्टी की शिरोमणि थी जिसमें प्रथम राजा, प्रथम साधू प्रथम केवरी, प्रथम तीर्थ कर श्री ऋषभदेवजी ने वास किया था अमरावती से बढकर भुमण्डल पर कोई पुरी थी तो अयोध्या थी षट धर्म गत्रों में ग्रन्थों में उसको भूयसी की प्रशंसा की गई है भूधर-शिखर-समदेव निकेतन पुरी की शोभा चैत्य भूमि वरा रही थी जहां साप्त भौमिक कनकभवन विद्यमान थे जहां प्रथम आयं साधु पुंडरीकजी, प्रथम भार्या साधवी बाह्माप्रथम सिद्ध चक्रवर्ती भरत जैसे पूण्यपुरुष होगये। जिसभूमि में सगर चक्रवर्ती ने अनेक दिशामों तथा देशान्तरों तक में
SR No.032642
Book TitleAyodhya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeshtaram Dalsukhram Munim
PublisherJeshtaram Dalsukhram Munim
Publication Year1938
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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