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________________ अयोध्या का इतिहास । [३] - ॥श्री तीर्थवृत्तांत । तीर्थमाहात्म्य ॥ 6 सुवर्णवर्ण गजराजगामिनं पलंबबाहु मुविशाललोचनं । नरमरेंद्र स्तनपादपंकजं - नमानि भक्त्या ऋषभं जिनोत्तमन् ॥३॥ श्रीमवृषभसवज्ञ अषभांक वणरुक् । जादेवाधिदेवाहन्नाभिराजेन्द्रनन्दनः ॥७॥ युगस्यादी त्वयायेन ज्ञानत्रय युते नयत् । जनन्या मरुदेव्यश्च पावनं जठरं कृतं ॥८॥ तो दम्यत्यौ तदा तत्र भोग कर मतां गतौ भोगभूमि श्रियं साक्षाच्च कृतर्वियुताबपि ६॥९ श्री ऋषभदेव जो ( अ.दिना.) के माता पिता मक. देवी और नाभिरा जा इसमें भोगभूमि से युक्त होने पर बड़े आनन्द ले रहे। तस्या मलेकृते पुण्ये देशे कल्याङधि प्राप्यये । तत्पुण्यै मुहुराहत: पुरहूतः पुरीं दधात् ॥६६॥१०
SR No.032642
Book TitleAyodhya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeshtaram Dalsukhram Munim
PublisherJeshtaram Dalsukhram Munim
Publication Year1938
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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