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________________ ( ५४ ) श्रमण का कटा हुआ एक मस्तक देगा, उसे मैं १०० दीनारें दूंगा।" चाणक्य के काल में साम्प्रदायिक विद्वेष राष्ट्रीय धरतल पर नहीं था ; अतः राजनीतिक चाणक्य उस ओर चुप है-यद्यपि असावधान नहीं। पर वैय्याकरण पतञ्जलि के सामने साम्प्रदायिकता का नग्न ताण्डव हो रहा था। अतः पतञ्जलि को अपने महाभाष्य में ब्राह्मण श्रमण का द्वेष शाश्वत कहना पड़ा। यही नहीं, जिन देशों में बौद्धों और जैनों का प्राधान्य थाजैसे अङ्ग, बङ्ग, कलिंग, मगध और सौराष्ट्र को पतित देश घोषित करना पड़ा। यही कारण है कि पुष्यमित्र के काल में सम्पादित मनुस्मृति में उपरोक्त देशों में तीर्थयात्रा के अलावा गमन पर प्रायश्चित का विधान है। यही नहीं, मगध में बौद्धों के तीर्थस्थानों का ब्राह्मणीकरण भी किया गया । इस प्रकार मौर्य साम्राज्य के अन्त के साथ ही साथ मगध से श्रमण संस्कृति के पैर उखड़ने लगे। मगध की प्राचीन भाषा ___ मगध की प्राचीन संस्कृति और खास कर श्रमण संस्कृति पर विचार करते समय मगध की प्राचीन भाषा और उस भाषा में निर्मित साहित्य पर विचार कर लेना भी आवश्यक है। सिंहली परम्परा के अनुसार मागधी ही वह मूल भाषा है, जिसमें भगवान बुद्ध ने अपने उपदेश दिए थे । कच्चान-व्याकरण में कहा गया है-“सा मागधी मूल भासा "सम्बुद्धा चापि भासरे" (मागधी वह मल भाषा है जिसमें 'सम्यक सम्बुद्ध ने भी भाषण दिया।) वस्तुतः ऋग्वेद की विविधतामयी भाषा के प्रान्तशः विकसित रूप में मागधी भी आर्य भाषा परिवार में मगध को एक भाषा थी। बुद्ध ने इसी मागधी-भाषा में अपना उपदेश दिया। पार्श्वनाथ और महावीर ने भी इसी भाषा में अपना उपदेश दिया था। ___ बुद्ध और महावीर के उपदेश की भाषा मागधी थी, पर उस मागधी का रूप क्या था, यह बताना बड़ा कठिन है। विद्वानों का मत है कि पालि त्रिपिटक में मगध की प्राचीन भाषा का कुछ रूप है। पर वस्तुतः
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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