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________________ ( ११ ) उष्णप्रस्रवण से कुछ दूर जो अपनी नई राजधानी बसाई उसी का नाम राजगृह है । गिरिव्रज के अवशेष स्वरूप ' जरासन्ध का अखाड़ा', ' जरासन्ध का मचान' और उसके परकोटे आज भी हैं । उसी से जरा हट कर राजगृह का निर्माण बिम्बिसार ने कराया बिम्बिसार बहुत महत्वाकांक्षी था । उसने पहले अपने पास-पड़ोस के छोटे राजात्रों को जीता और फिर आगे बढ़ कर श्रंग को जीत कर सभी को मगध में मिला लिया । उसने कई एक ऐसी शादियाँ की जिनका राजनीतिक महत्त्व था । उसकी एक रानी कोसल देश के राजा प्रसेनजित की बहन थी । उसकी दूसरी एक रानी चेल्लना लिच्छवि प्रमुख चेटक की बहन थी । एक रानी विदेह कुमारी थी । इन वैवाहिक सम्बन्धों से बिम्बसार ने काफी लाभ उठाया । कोसल की राजकुमारी के साथ व्याह के अवसर पर उसे काशी का राज्य दहेज में मिल गया, जो उस समय कोसल के अधीन था। इस प्रकार मगध राज्य की सीमा का उसने काफी विस्तार किया । पार्श्वनाथ का धर्म श्रेणिक बिम्बिसार का महत्त्व राजनीति की अपेक्षा सांस्कृतिक दृष्टि से अधिक है । वह स्वयं नाग क्षत्रिय था । नाग क्षत्रिय परम्परा से वैदिककर्मकाण्डों से अलग थे। वह व्रात्य थे । एक नाग क्षत्रिय पार्श्वनाथ ने पार्श्वपत्य धर्म की स्थापना की थी, जिसे चातुर्याम धर्म भी कहते हैं । इस धर्म के मानने वाले मगध, अंग और वजिसंघ में थे । चातुर्याम धर्म द्वारा जन साधारण में कुछ नैतिक चेतना भी जागृत हुई थी। यह चातुर्याम धर्म-अहिंसा, सत्य, अचौर्य और अपरिग्रह था । अहिंसा और सत्य तो अति प्राचीन धर्म हैं । इन्हीं दोनों सिद्धान्तों के सहारे बर्बर मनुष्य बर्बरता से ऊपर उठ सका । अचौर्य और अपरिग्रह की प्रतिष्ठा सम्भवतः पार्श्वनाथ ने की है । किसी की वस्तु को बिना दिये हुये लेने को चोरी कहते हैं । चोरी करने वाला अपने आप में कुछ हीन — कुछ : --
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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