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________________ (30) के पश्चात धम्मचक्क पवत्तन के लिए वाराणसी (काशी के निकट वनाच्छादित तपोभूमि इस पत्तन मृगदाय (सारनाथ) को चुना। प्रस्तुत लघु शोध पत्र में सारनाथ में स्थित प्रमुख बौद्ध स्तूपों को ऐतिहासिक स्रोतों एवं साक्ष्यों के आधार पर सारनाथ में बौद्ध धर्म के विकास का उल्लेख किया है। प्राचीन काल में सारनाथ बौद्ध धर्म का प्रमख केंद्र था जिसका बौद्ध धर्म के इतिहास में विशेष महत्व है तथागत बुद्ध के अस्थि अवशेषों पर निर्मित 8 प्रारंभिक बौद्ध स्तूपों का वर्णन हर्म बौद्ध साहित्य से प्राप्त होता है बौद्ध ग्रंथ महावंश में अशोक के द्वारा निर्मित 84000 स्तूपों का उल्लेख मिलता है। जिसमें से तीन प्रमुख स्तूप सारनाथ में स्थित है. धर्मराजिका स्तूप धमेख स्तूप चौखंडी स्तूप सारनाथ में स्थित प्रमुख तीनों स्तूपों बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है ___ अशोक द्वारा धर्मराजिका स्तूप का निर्माण उस स्थल पर किया गया जहां तथागत निवास किया करते थे धर्मरजिक के समीप धमेख स्तूप स्थित है। तथागत के द्वारा पंचवर्गीय भिक्षुओं को दिए गए उपदेश के लिए धम्मेख स्तूप विख्यात है। ***** प्राकृत एवं पालि गाथाओं में अद्भुत साम्य धर्मचंद जैन, जोधपुर बौद्ध त्रिपिटकों एवं जैन आगमों की अनेक गाथाएँ समान है अथवा कहीं उनमें तात्पर्य का साम्य है। धम्मपद एवं संयुत्तनिकाय की गाथाओं की उत्तराध्ययन एवं दशवैकालिक सूत्र की गाथाओं से समानता इसका एक निदर्शन है। यहाँ पर दो गाथा उदाहरणार्य अंकित है जो सहस्सं सहस्साणं, संगामे दुज्जए जिणे। एगं जिणेज्ज अप्पाणं, एस से परमो जओ॥ जो लाखों दुर्जेय युद्धों को जीत ले, उससे भी एक अपने को जीत लेना श्रेष्ठ जय है। इसी प्रकार का भाव धम्मपद की निम्नांकित गाथा में परिलक्षित होता है
SR No.032621
Book TitleIndian Society for Buddhist Studies
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrachya Vidyapeeth
PublisherPrachya Vidyapeeth
Publication Year2019
Total Pages110
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size7 MB
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