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________________ कहे कलापूर्णसूरि-४ (अध्यात्मयोगी पू. आचार्यश्री की साधनापूत वाणी) (दि. : १७-०९-२०००, रविवार से दि. ०१-१२-२०००, शुक्रवार) * वाचना * पूज्य आचार्यश्री विजयकलापूर्णसूरीश्वरजी/. * प्रेरणा * पूज्य आचार्यश्री विजयकलाप्रभसूरीश्वरजाम पू.पं.श्री कल्पतरुविजयजी गणिवर ___* आलंबन * पूज्यश्री के गुरुमंदिर की प्रतिष्ठा वि.सं. २०६२, फाल्गुन वद ६, दि. १९-०२-२००६, रविवार, शंखेश्वर महातीर्थ * अवतरण - सम्पादन * पंन्यास मुक्तिचन्द्रविजय गणि पंन्यास मनिचन्द्रविजय गणि * अनुवादक * मुनि मुक्तिश्रमणविजय * प्रकाशक * श्री कलापूर्णसूरि साधना स्मारक ट्रस्ट आगम मंदिर के पीछे, पो. शंखेश्वर, जि. पाटण ( उ.गु.), पीन : ३८४ २४६. श्री शान्ति जिन आराधक मंडल P.O. मनफरा (शान्तिनिकेतन ), ता. भचाऊ, जी. कच्छ, Pin : 370 140.
SR No.032620
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 04 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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